एनआरसीसी व डीएफएमडी संस्थान की अनुसंधान दिशा में ऊँट बनेगा कल्याणकारी
बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र, बीकानेर (एनआरसीसी) एवं भाकृअनुप-खुरपका और मुंहपका रोग निदेशालय के मध्य समन्वयात्मक अनुसंधान को लेकर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। एनआरसीसी के निदेशक डा.आर्तबन्धु साहू ने आईसीएफएमडी संस्थान, भुवनेश्वर का अवलोकन करते हुए वैज्ञानिकों से समन्वयात्मक अनुसंधान विषयक गहन चर्चा करते हुए बीएसएल थ्री प्लस सुविधा के संबंध में जानकारी ली।
इस दौरान एनआरसीसी के निदेशक डा.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि पशुओं में मुंहपका-खुरपका (एफएमडी) एक बहुत बड़ी इकोनोमिक डीजिज है जिस पर दोनों संस्थान परस्पर अनुसंधान करेंगे। उन्होंने इस संबंध में एक थीसिस के माध्यम से हुए कार्य का जिक्र करते हुए बताया कि एफएमडी व कैमल इम्यूनोलाजी पर पहले कार्य हुआ है, इसी अनुसंधान की जानकारी को आधार बनाते हुए इस संस्थान के विषय-विशेषज्ञ वैज्ञानिकों से एफएमडी वैक्सीन, डायग्नोस्टिक एवं डिजिज केयर में कैमल इम्यूनोलाजी की भूमिका आदि पहलुओं पर बैठक में खास चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि कैमल इम्युनोग्लोबुलिन को नैनोबॉडीज भी कहा जाता है जो वैक्सीन डायग्नोसिस की दिशा में एक नवाचार (एनोवेटिव अप्रोच ) माना जा सकता है।
खुरपका व मुंहपका रोग निदेशालय के निदेशक डा.आर.पी.सिंह ने बैठक के दौरान आशा जताई कि एफएमडी निराकरण को लेकर दोनों संस्थानों के समन्वयात्मक अनुसंधान द्वारा सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं। बैठक के दौरान एनआरसीसी के निदेशक डॉ. साहू के आगे बढ़कर इस दिशा में अनुसन्धान सहयोग की इच्छा को डीएफएमडी के निदेशक डॉ. सिंह ने सराहा व एनआरसीसी के साथ अंतर संस्थानीय परियोजना की अनुशंसा पर नए वैज्ञानिकों को प्रेरणा मिलने की बात भी कही।