संवैधानिक मुल्यों की हत्या तथा देश के संसाधनों का मुट्ठीभर लोगों के हाथों में होना ‘न्यू इंडिया’ नहीं : हुसैन दलवाई
पुणे {CK MEDIA}। लोकतांत्रिक मूल्यों की अस्थिरता, स्वायत्त संस्थानों के एकीकरण और देश के संसाधनों का मुट्ठीभर लोगों के हाथों में होना यानि "न्यू इंडिया" नहीं है। नए स्वतंत्र भारत की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, स्व. इंदिरा गांधी और स्व. राजीव गांधी ने की थी। यह बात पूर्व सांसद और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हुसैन दलवाई ने कही। वह प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर यहां कात्रज स्थित राजीव गांधी स्मारक समिति की ओर से आयोजित अभिवादन कार्यक्रम में श्रध्दांजलि अर्पण कर कही।
दलवाई ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने आधुनिक दुनिया से देश को जोड़ने का काम किया है। हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि आज गरीब लोगों के हाथों में जो फोन आया है , वह उनके प्रयासों का ही नतीजा है। आज सत्ता में बैठी पार्टी के लोगों ने हमेशा से प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की कंप्यूटर क्रांति की आलोचना की थी। जबकि कंप्यूटर के बिना कोई काम नहीं होता। वहीं राजनीति में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का श्रेय प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी को दिया जाना चाहिए, उनके प्रयास के चलते महिलाओं को आज राजनीति में आने का अवसर मिला है।
देश के हित में राजीव गांधी ने दिया बलिदान..
कार्यक्रम में विधायक संजय जगताप ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने देश के हित के अपना बलिदान दिया, उसे 32 वर्ष पूरे हो गए हैं। 21 वीं शताब्दी में नई दिशा और प्रगतिशील भारत की नींव उन्होंने रखी। उनके बलिदान से देश को दिशा प्राप्त हुई है। ‘राजीव गांधी स्मारक समिति’ के अध्यक्ष गोपालदादा तिवारी ने प्रस्तावना में कहा कि देश की एकता, अखंडता और एकीकरण के लिए प्रधानमंत्री ने शहादत को स्वीकारा। उनकी हत्या को इतिहास में एक काला दिन के तौर पर मनाया जाता है। बीजेपी के समर्थन से आई वी.पी सिंह की सरकार के विरोध में तथा कश्मीरी पंडितों पर हमले के विरोध एवं उनकी सुरक्षा के लिए उन्होंने संसद का घेराव किया था। यह बातें सत्ता में बैठे लोगों को याद रखना चाहिए। इस समय श्रीमती कमलताई व्यवहारे, श्रीरंग चव्हाण, सुर्यकांत मारणे, राधिका मखामले, सुनील पंडित, राजेंद्र खराडे़, डी.एस. पोलेकर, भूषण रानभरे, सुभाष थोरवे, संजय अभंग, हरिदास अडसुळ, रमेश सोनकांबळे, रवि ननावरे, भरत सुराणा, प्रकाश आरणे, आण्णा गोसावी, ॲड संदीप ताम्हणकर, ॲड फैयाझ शेख, कात्रज प्राणी संग्रहालय के निदेशक राजकुमार जाधव आदि उपस्थित थे।