राजस्थानीयत से जोङे रखने का सफलतम नवाचार है सुरंगो राजस्थान कार्यक्रम : हिंगलाज दान रतनू – Chhotikashi.com

राजस्थानीयत से जोङे रखने का सफलतम नवाचार है सुरंगो राजस्थान कार्यक्रम : हिंगलाज दान रतनू

                बीकानेर/कोलकाता। महानगर कोलकाता जिसे मारवाङीयोंं की राजधानी कहा जाता है, इस महानगर के डीवीनिटी सभागार में सीकर नागरिक परिषद द्वारा आयोजित " सुरंगो राजस्थान " कार्यक्रम में बोलते हुए राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के राजस्थान सूचना केंद्र कोलकाता के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने कहा कि ऐसे आयोजन राजस्थानीयत को सुरक्षित रखने में मील के पत्थर साबित होते हैं और ऐसे राजस्थानी कला, साहित्य, संस्कृति, वेशभूषा, परंपरा के अभिनव प्रयास के प्रेरणा पुरूष घनश्याम शोभासरिया के भागीरथ प्रयास काबिलेतारीफ है। रतनू इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बतौर अतिथि एवं इस कार्यक्रम में होने वाले विभिन्न कंपीटिशन के निर्णायक के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का विधिवत दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ के समय इस गरिमामय मंच पर पद्मश्री प्रह्लाद राय अग्रवाल मुख्य अतिथि थे। उनके अलावा मंच पर नंदलाल रूंगटा, घनश्याम शोभासरिया, रतन शाह, बंशीधर शर्मा, सुनीता लोहिया, रवि सीकरिया सहित सीकर नागरिक परिषद के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे। इस गरिमामय समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताएं हुई जिसमे मारवाङी समाज के लोगों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। डीवीनिटी हाॅल में मानो पूरा राजस्थान उतर आया हो ऐसा प्रतीत हो रहा था, सभी प्रतिभागियों को सम्मान राशि देकर सम्मानित किया गया। पंडित पुखराज शर्मा सुप्रसिद्ध मांड गायक यहां विशेष रूप से उपस्थित रहे एव् उनके साथ बाङमेर के सुखदेव मांगणियार अपनी टीम के संग स्वर लहरियां बिखेर रहे थे। इस अवसर पर रतनू ने घनश्याम शोभासरिया के इस अभिनव प्रयास पर डिंगल (राजस्थानी) दोहे "कोट खिसे देवळ डिगे, वृख ईंधण वहै जाय, जस रा आखर जैहियां जातां जुगां न जाय " से साधुवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि सैकड़ों की संख्या में कोलकाता का मारवाङी समाज यहां उपस्थित था।


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