औषधि का स्रोत है ऊंटनी का दूध, बाजार भाव तय कर अच्छा खास लाभ कमा सकते हैं पशुपालक : डॉ.साहू
बीकानेर। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू ने कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में ऊंटनी के दूध की उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दूध के साथ-साथ औषधि का स्रोत है तथा पशुपालक उसी अनुरूप दूध को बढ़ावा देते हुए इसका बाजारभाव तय कर अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।
वे सिरोही के आबूरोड के देलदर गांव में जनजातीय उपयोजना के तहत पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। शिविर में 139 पशुपालकों द्वारा लाए गए 626 पशुओं जिनमें ऊंट 222, गाय 95, भैंस 150, बकरी व भेड़ 159 शामिल को उपचार, दवाइयों व उचित सलाह द्वारा लाभान्वित किया गया।
डॉ. साहू ने यह भी कहा कि अच्छे लाभ की स्थिति में पशुपालक उष्ट्र पालन व्यवसाय से जुड़े रहेंगे और उष्ट्र संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा। उन्होंने उष्ट्र पालन व्यवसाय से जुड़े विभिन्न जरूरी पहलुओं पर राज्य सरकार से अनुरोध का भी जिक्र किया। उन्होंने पशुपालकों को वैज्ञानिक जानकारी एवं उनसे जुड़ी प्रौद्योगिकियों के लाभ उठाने की भी बात कही।
केन्द्र के डॉ. शान्तनु रक्षित एवं डॉ.श्याम सुंदर चौधरी, वैज्ञानिकों द्वारा केन्द्र की प्रसार एवं अन्य संबद्ध गतिविधियों की जानकारी देते हुए पशुधन से श्रेष्ठ उत्पादन लेने हेतु उसके रखरखाव, आहार व्यवस्था, पोषण, जनन आदि के साथ उसके स्वास्थ्य पहलू के संबंध में विशेष ध्यान देने की बात कही। डॉ. काशी नाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि शिविर में लाए गए ऊंटों में तिबरसा (सर्रा) रोग के बचाव के लिए टीकाकरण किया गया। साथ ही पशुओं को कृमिनाशक दवा पिलाई गई और बाह्य व अंत: परजीवी रोगों से बचाव हेतु कृमिनाशक व कीटनाशक दवा वितरित की गई। पशु पालकों को केन्द्र में निर्मित करभ पशु आहार व खनिज मिश्रण भी वितरित किए गए। शिविर के इस संवाद कार्यक्रम में ऊंट पालकों ने ऊंटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता से जुड़े अनुभव साझा किए।
शिविर के इस संवाद कार्यक्रम में ऊँट पालकों ने ऊँटनी के दूध की औषधीय उपयोगिता से जुड़े अनुभव साझा किएा इस कैम्प में पशुपालन विभाग आबूरोड के प्रभारी डॉ. सावंरिया एवं डॉ. शैलेष प्रजापति आदि ने भी सक्रिय सहयोग प्रदान किया । वहीं श्री सेवाराम, सदस्य, पशुधन विकास कमेटी, सिरोही ने इस अवसर पर एनआरसीसी के प्रति इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए आभार व्यक्त किया तथा पशुधन को लेकर अपनी बात रखीं। केंद्र के मनजीत सिंह, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने शिविर में पंजीयन, दाना-आहार वितरण आदि कार्यों में सहयोग दिया।