ब्रह्मा, विष्णु, महेश भगवान की सजीव झांकियों ने मन मोहा !
बीकानेर। हम इस संसार में क्यों आए, किसलिए आए इस पर विचार करें, हर आदमी के जीवन में चार प्रश्न आते हैं। मैँ कौन हूं, मैं कहां से आया हूं, मैं कहां पर जाऊंगा या मुझे कहां पर जाना है। इन चार प्रश्नों के उत्तर आपको भागवत सुनने से मिलेंगे, उसे जीवन में धारण करने से आपको पता चल जाएगा कि भागवत की उत्पत्ति किस लिए हुई है। भक्तों की इन्हीं जिज्ञासाओं को शांत करते हुए व्यास पीठ पर विराजे पंडित मुरली मनोहर व्यास ने शिव पार्वती मंदिर गोपेश्वर बस्ती के माली समाज भवन के विशाल प्रांगण में बड़ी संख्या में मौजूद श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले श्रद्धालु भक्तों से भागवत की उत्पत्ति और इसके श्रवण से होने वाले लाभ से अवगत कराया।
आयोजक सत्संग परिवार समिति के राजकुमार जैन ने बताया कि सोमवार को श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास जी महाराज ने कहा कि परमात्मा अपने संकल्प से संसार बनाते हैं, फिर अपनी माया से खेलकर उसे समेट लेते हैं। श्रीमद् भागवत के बारे में श्रद्धालुओं को अवगत कराते हुए कहा कि गायत्री मंत्र का विस्तार ही भागवत है। गायत्री मंत्र वेदों का सार है और वेद का पका हुआ फल भागवत है। साथ ही बताया कि जो गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकते, वह भागवत का पाठ करते हैं तो उन्हें गायत्री मंत्र के जाप का पुण्य लाभ मिल जाता है। कथा के मध्यान्ह में जगत के रचियता, पालनहार और संहारक ब्रम्हा, विष्णु, महेश की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई। कथा श्रवण के दौरान भजनों की सरिता में श्रद्धालुओं ने भगवान की भक्ति का लाभ लिया।