खजूर खाने से बहुत से रोगों की रोकथाम ! , राजस्थान में खजूर की खेती के लिए अनेक तकनीकें विकसित
बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के खजूर अनुसंधान केंद्र द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से राजस्थान में खजूर की खेती के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन किया गया है। जिसके तहत संग्रह, उत्पादन तकनीक, खाद व उर्वरक प्रबंध, जल प्रबंध, प्रवर्धन तकनीक, परागण तकनीक, कीट व रोगों के निदान पर अनेक तकनीकें विकसित की गयी है।
यह जानकारी देते हुए केंद्र के प्रभारी डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि खजूर अनुसंधान केंद्र पर वर्तमान में देश-विदेश की 55 किस्मों पर अनुसंधान कार्य चल रहा है और केंद्र ने 35 किस्में स्थापित की है। वे बताते हैं हलावी, बरही, खूनीजी एवं मेडजूल केंद्र द्वारा राजस्थान के लिए संस्तुतित की गयी है। साथ ही डोका अवस्था में फल कड़े, पके तथा विशिष्ट रंग वाले, डांग अवस्था में फल मुलायम होने आरंभ होते हैं तथा पिण्ड अवस्था पर फल पककर पूर्णतया मुलायम हो जाते हैं। डॉ. राठौड़ बताते हैं कि खजूर फल के खाने से बहुत से रोगों की रोकथाम होती है। खजूर के खाने से पेट को साफ रखने वाला फाइबर, कई जरूरी विटामिन, मिनरल्स, और भरपूर फोलिक एसिड शरीर को तंदुरुस्त बनाए रखता है। खजूर में गेहूं, चावल जैसे कई अनाजों की तुलना में उच्च कैलोरी पाई जाती हैं. वहीं शर्करा की मात्रा भी काफी होती है। डॉ. राठौड़ बताते हैं कि खजूर के फलों के पौष्टिक उत्पाद एवं संरक्षित व्यंजन जैसे स्कवैश, चूर्ण, चटनी, लौजी, मुरब्बा, अचार, टॉफी, बिस्कुट, जैम, सॉस, कैंडी, लड्डू, मीठा आचार आदि बनाए जा सकते हैं। खजूर में पाेषक खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। इसके फल खांसी, जुकाम व बुखार को कम करने में बहुत उपयोगी है। राजस्थान के शुष्क अर्ध शुष्क क्षेत्र में वातावरणीय अनुकूलता के कारण खजूर की खेती व इसके उत्पादन की प्रबल संभावनाएं है। सिंचाई हेतू नहर, ट्यूबवैल के पानी की सुविधा, रेतीली मिट्टी, पर्याप्त सूर्य की गर्मी, कम वर्षा आदि वातावरणीय कारक अच्छी गुणवत्ता के खजूर उत्पादन में सहायक है।
पंद्रह जिलों में कृषकों को दिया जा रहा है अनुदान
खजूर अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ. राठौड़ ने बताया कि राजस्थान के शुष्क व अर्ध शुष्क जलवायु पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती की अपार संभावनाएं है। राज्य सरकार राष्ट्रीय विकास योजना के अंतर्गत राजस्थान के 15 जिलों बीकानेर, चूरु, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, झून्झूनूं, सीकर, नागौर, जयपुर, अजमेर, जालौर, पाली तथा सिरोही में खजूर लगाने के लिए कृषकों को अनुदान दिया जा रहा है। वे बताते हैं कि प्रदेश में खजूर की खेती से क्षेत्र के किसानों को आय के साथ-साथ अनेक अन्य लोगों के लिए रोजगार के अवसर बन रहे हैं।