हर व्यक्ति का जीवन ईश्वर की एक प्रयोगशाला : धर्माचार्यगुरु आरएच सोनी
अंतरराष्ट्रीय ज्योतिर्विद का जयपुर की भागवताचार्य वल्लभीराजजी ने किया सत्कार
पुणे। हर व्यक्ति का जीवन ईश्वर की एक प्रयोगशाला है। उस परमपिता परमात्मा की शक्ति एवं सीमाएं भी असीम है, हमें उसे अपनी जागीर नहीं समझना चाहिए। यह कहा राष्ट्रीय धर्माचार्यगुरु, अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषी एवं रत्न विज्ञान विशेषज्ञ आरएच सोनी ने। उनका यहां जयपुर से आई मशहूर भागवत कथा वाचक वल्लभीराज राजेश्वरी मौसीरामजी द्वारा स्वागत–सत्कार किया गया। उल्लेखनीय है की मौसीरामजी द्वारा निस्वार्थ भाव से पूर्णतया निशुल्क रुप से श्रीमद्भागवत कथा के वाचन द्वारा भक्त और भगवान की भक्ति की गाथा का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में समय–समय पर किया जाता है। इस मौके पर सोनी ने कहा कि निश्चित ही हर जीव का अपना-अपना स्वार्थ होता है, मगर परमात्मा की भक्ति निस्वार्थ ही होनी चाहिए। यह भावना भी व्यक्ति की विविध प्रकार की अदृश्य कामनाओं को निश्चित पूर्ण करती है। इस दौरान रत्न–विज्ञान विशेषज्ञ ज्योतिर्विद सोनी ने यह भी कहा कि विभिन्न ग्रह–नक्षत्रों के आधार पर परमात्मा के विभिन्न स्वरूपों तथा विविध रत्नों, रुद्राक्ष आदि को धारण करना भी ज्योतिष शास्त्र में विशिष्ट बताया गया है। वे बोले, आज हर तीसरा व्यक्ति ज्ञान और संदेशात्मक विचार दूसरों से तो अपेक्षा करता है, मगर वह स्वयं पर लागू नहीं करता। इसे प्रत्येक व्यक्ति को वास्तविक स्तर पर समझने व नियमानुसार स्वयं पर लागू करने की भी महत्ती आवश्यकता है। इस दौरान करीब 200 श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से अपने श्रीमुख से गीता ज्ञान गंगा की अमृतमयीवाणी की धारा प्रवाहित करने वाली वल्लभीराज राजेश्वरीजी ने कहा कि भगवान की भक्ति फलक की भांति असीमित है अर्थात उसे पाने की भी कोई सीमा नहीं है। एक भक्त को अपनी सरल भक्ति के दौरान किसी प्रकार की शंका नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि भक्ति की शक्ति ही हमें विविध प्रकार से सुख, सौभाग्य एवं समृद्धि के साथ कामनाओं की पूर्ति करने में वाकई सर्वथा सक्षम है।