उरमूल रंगसूत्रा शोरुम का शुभारम्भ, डीसी उर्मिला राजोरिया-बीएसएफ डीआईजी राठौड़ भी रहे मौजूद
बीकानेर। उम्दा कारीगरी के उत्कृष्ट प्रदर्शन और पुरानी कला को संजोये रखने, महिलाओं के सशक्तिकरण में हमेशा से ही उरमूल अहम् भूमिका निभा रहा है। यह बात मंगलवार को संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया ने उरमूल रंगसूत्रा शोरुम के शुभारम्भ पर कही। इस अवसर पर बीएसएफ डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़, उरमूल डेयरी के प्रबंधक बाबूलाल बिश्नोई भी मौजूद थे। राजोरिया ने टीम उरमूल तथा रंगसूत्रा को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गांवों की महिलाओं को स्थायी रोजगार के लिए ऐसे ही आगे बढ़ते हुए गांवों की कला और संस्कृति को जीवित रखा जा सकता है। बीएसएफ के डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारी कला और संस्कृति को आज तक आगे बढ़ाने का कार्य उरमूल एवं रंगसूत्रा मिलकर कर रही है। बाबूलाल बिश्नोई ने कहा कि उरमूल डेयरी और उरमूल ट्रस्ट पशुपालकों के साथ महिलाओं के स्थायी रोजगार को हमेशा प्रोत्साहित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। सचिव रमेश सारण ने कहा कि उरमूल ट्रस्ट 1984 से गांवों में सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े गरीब एवं वंचित वर्ग के लोगों विशेषत: महिलाओं, बच्चों एवं अनुसूचित जाति के लोगों की सहभागिता कार्य किया जा रहा है। 3500 से अधिक महिलाओं के पारंपरिक कसीदे के काम को व्यावसायिक रुप देेने के लिए महिलाओं को नए डिजायनों का प्रशिक्षण देकर कपड़े के वस्त्र तैयार करवाए जाते हैं जिसमें मुख्यत: बुनाई, रंगाई, कढ़ाई, कसीदे, सिलाई, क्रोशिया, मेक्रमें, टाई एण्ड डाई, ऐप्लिक, मुक्का आदि उत्पाद को बिक्री के लिए के लिए रंगसूत्रा, उरमूल शोरुम का शुभारम्भ किया गया है। प्रशासनिक अधिकारी उरमूल ट्रस्ट चेनाराम बिश्नोई ने बताया कि ओमप्रकाश साहू रंगसूत्रा ने विभिन्न प्रकार के कार्यों के बारे में बताया कि रंगसूत्रा कम्पनी विशेष तौर से हस्तकला/दस्तकारों को अच्छी और गुणवत्ता में सहयोग के साथ-साथ बाजार उपलब्ध करवाने का सहयोग करती है ताकि हमारी कला और संस्कृति को संजोए रखने के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। कम्पनी से जुड़े सभी आर्टिजन कम्पनी के शेयर होल्डर है और कम्पनी हमेशा सभी आर्टिजनों को समय-समय पर प्रशिक्षण एवं अच्छे-अच्छे उत्पाद बनाने में सहयोग करती है।