भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए कला एवं संस्कृति का भी विकास जरूरी : डॉ. संजय
उस्ताद तौफिक कुरेशी सहित अन्य कलाकारों को 'सूर्यभारत पुरस्कार-2023' प्रदान
चित्तरंजन वाटिका में आयोजित दिवाली पहाट कार्यक्रम का आयोजन ; स्वरमयी महफिल से पुणेकर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
पुणे। "भारतीय कला और संस्कृति का प्रसार पुरे विश्व में हो रहा है। साथ ही भारत महासत्ता बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत को विश्वगुरू बनने के लिए तंत्रज्ञान और शिक्षण के साथ–साथ भारतीय कला और संस्कृती का विकास होना भी जरुरी है," ऐसा प्रतिपादन सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने किया।
मॉडेल कॉलनी स्थित चित्तरंजन वाटिका में आयोजित किए गए 'दिवाली पहाट' कार्यक्रम के दौरान प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया बोल रहे थे। नवनिर्माण अभियान प्रतिष्ठान द्वारा पूर्व पार्षद राजू उर्फ दत्तात्रय पवार और मित्र परिवार की पहल से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इन चार दिनों की स्वरमयी महफिल में पुणेकर श्रोता मंत्रमुग्ध हुए। दिवाली पहाट महोत्सव में उस्ताद तौफीक कुरैशी, पंडित शौनक अभिषेकी, शास्त्रीय गायक निषाद व नौशाद हरलापूर का गायन व बेला शेंडे का लाईव्ह कॉन्सर्ट हुआ। नम्रता गायकवाड ने शहनाई वादन, रूपक कुलकर्णी ने बांसुरी वादन, पंडित हर्षद कानेटकर ने तबला वादन किया।
स्वरमय दिवस बनाने वाले कलाकारों को सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। इसमें प्रसिद्ध शास्त्रीय कलाकार उस्ताद तौफीक कुरेशी को 'सूर्यभारत राष्ट्रीय पुरस्कार 2023', वही शिखरनाद कुरेशी, एस. आकाश और शंतनू गोखले को 'सूर्यभारत गौरव पुरस्कार-2023' प्रदान किया गया। इस अवसर पर सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन की उपाध्यक्ष सुषमा चोरडिया सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे। सूर्यदत्त ऍग्रो फुड एंटरप्राईजेस (सेफ) द्वारा सभी को पौष्टिक खाद्य वितरित किया गया। डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, 'भारत की कला और संस्कृती महान है। आनेवाली पीढ़ी को इस बारे में पूरी जानकारी होने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए। इसमें शैक्षिक संस्थानों का योगदान महत्वपूर्ण है,नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा और अपनी कला व संस्कृति बढ़ावा देने हेतु सूर्यदत्त एज्युकेशन फाउंडेशन आनेवाले समय में सूर्यभारत महोत्सव का आयोजन करने जा रहा है। जल्द ही यह महोत्सव सूर्यदत्त के बावधन कैम्पस में होगा।