कांग्रेस महाराष्ट्र प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी गुस्साए, नीट नहीं है क्लीन; एक्झाम में युवाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड बंद हो
पुणे। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने गुस्सा व्यक्त करते हुए तीखा सवाल पूछा है कि अगर नीट प्रवेश परीक्षा आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के प्रमुख को ही 'अपने क्षेत्राधिकार में अनियमितताओं के आरोपों की जांच' करने का काम सौंपा गया है, तो जांच निष्पक्ष और न्यायसंगत कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा है कि 'चिकित्सा क्षेत्र' का सरोकार नागरिक जीवन एवं लोगों के स्वास्थ्य से है, जो छात्र जीवन में अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं उन्हें 'मेडिकल, आयुर्वेदिक, डेंटल, होम्योपैथी' डिग्री-स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा आयोजित नीट की प्रवेश पात्रता परीक्षा देनी होती है।
हालाँकि, जब यह बात सामने आई कि नीट प्रवेश योग्यता परीक्षा में पेपर लीक होना, धोखाधड़ी और घोटाले का एक पैटर्न था, तो केंद्र सरकार ने दिखावा करके जांच की मांग स्वीकार कर ली, और मोदी काल में यूपीएससी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर प्रदीपकुमार जोशी को जांच के लिए नियुक्त किया गया। चूँकि प्रो. प्रदीप कुमार जोशी नीट परीक्षा आयोजित करने वाली 'राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी' यानी एनटीए के प्रमुख हैं, तो उक्त परीक्षा के स्व-प्रशासन के खिलाफ निष्पक्ष और उचित जाँच कैसे हो सकती है..? कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी के मुताबिक मामले में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए जवाब में खुलासा हुआ है कि 1563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स वापस लेने और उतने ही छात्रों की दोबारा परीक्षा लेने का चौंकाने वाला हास्यास्पद बयान दिया गया है। नीट में चीट के इस कथित घोटाले सरीखे मामले में हरियाणा राज्य में "एक ही सेंटर में 7 छात्रों को सबसे ज्यादा समान अंक" मिलने का बेहद चिंतनीय विषय एवं गंभीर मामला भी सामने आया है। साथ ही, निजी कोचिंग क्लास चलाने वालों के यह कहते हुए कथित वीडियो भी सामने आए हैं कि "कुछ लाख देने के लिए तैयार रहें और प्रश्न पत्रिका प्राप्त करें"। यह छात्रों के भविष्य और देश के लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का एक निंदनीय तरीका है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने मांग की कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस गंभीर मामले की सुमोटो जांच करायी जाये।
कांग्रेसजनों को इस बात की भी खुशी है कि छात्रों के भविष्य के इस ज्वलंत और गंभीर सवाल पर सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आवाज उठाई और इस मामले को प्रकाश में लाया।