साध्वीश्री भव्यगुणाश्रीजी व शीतलगुणाश्रीजी के चातुर्मासिक प्रवचन : “अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दें तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराएं” – Chhotikashi.com

साध्वीश्री भव्यगुणाश्रीजी व शीतलगुणाश्रीजी के चातुर्मासिक प्रवचन : “अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दें तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराएं”

पूणे। यहां के शुक्रवारपेठ स्थित श्री सौधर्म बृहत्तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक संघ श्रीमुनिसुव्रत स्वामी राजेंद्रसूरि जिन - गुरुमंदिर ट्रस्ट पूणे के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास में विराजित विद्वान ज्योतिष ज्योति साध्वीश्री भव्यगुणाश्रीजी ने कहा कि कोई भी प्रकार की सुरक्षा मनुष्य को मौत से नहीं बचा सकती। मौत के आगे सुरक्षा भी फेल हो जाती है। हम अपने जीवन की रक्षा के लिए भले ही कितने सुरक्षा कर्मचारी तैनात कर लें, लेकिन वे मौत से नहीं बचा सकते अर्थात बाहरी सुरक्षाकर्मी कुछ नहीं कर सकते। साध्वीजी ने कहा कि हमें वास्तव में यदि मौत से बचना है, तो केवल आपके द्वारा किए गए पुण्य कार्य ही उसे आने से रोक सकते हैं। हमेशा अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दें तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराएं। इस दौरान मधुरभाषी साध्वीश्री शीतलगुणाश्रीजी ने कहा कि जीवन जीना एक कला है ओर मनुष्य जीवन का कलाकार है। जैसा हम बनना चाहेंगे वैसा बन सकते है। सभी मानव जन्म से एक जैसे होते है पर कला ही उसे नया रूप प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि धर्म की कला मनुष्य को जीवन जीना सीखाती है। मनुष्य जीवन केवल पेट भरने के लिए नहीं मिला है। धर्म की कला आत्मा को भी सुंदर व पावन बना मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है।


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