भद्रा के साए में न बांधें राखी, 1.30 बजे से है विशेष मुहूर्त : श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के पुजारी डॉ दिनेश गुरुजी
श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के पुजारीजी ने बताया पर्व विशेष का आध्यात्मिक महत्व
उज्जैन। हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण अवधारणा है भद्रा। यह काल विशेषतः अशुभ माना जाता है और इसे कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए प्रतिकूल समय के रूप में देखा जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के पुजारीजी डॉ दिनेश गुरुजी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं, जो किसी विशेष समय पर पृथ्वी लोक पर प्रभाव डालती हैं। राखी के दिन भद्रा का साया या भद्रा का समय अशुभ माना जाता है। इस समय में कोई भी शुभ कार्य, जैसे कि रक्षा बंधन (राखी बाँधना), विवाह, या अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भद्रा के समय रक्षा बंधन करने से भाई और बहन के बीच रिश्तों में तनाव या अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, ऐसा माना जाता है। डॉ दिनेश गुरुजी के मुताबिक भद्रा का साया का अर्थ है कि वह समय या अवधि जिसमें भद्रा का प्रभाव होता है। इस अवधि में शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।
रक्षा बंधन का मुहूर्त..
डॉ दिनेश गुरुजी ने बताया कि सोमवार, 19 अगस्त को रक्षा बंधन है। राखी बाँधने का शुभ विशेष मुहूर्त दोपहर एक बज कर 30 मिनट से रात 9 बजकर 8 मिनट तक (कुल 7 घंटे 39 मिनट)का है। अपराह्न का समय: दोपहर 1:44 से 4:20 मिनट तक का है। प्रदोष काल: शाम 6:57 से 9 :08 बजे तक (2 घंटे 11 मिनट) का है।
डॉ दिनेश गुरुजी ने बताया कि राखी बांधने के बाद भाई को गुलाबी पोटली में अक्षत (चावल), सिक्का, और सुपारी बांधकर देना एक शुभ और सांकेतिक रिवाज़ है, जिसका गहरा आध्यात्मिक महत्व होता है।
अक्षत (चावल) : पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह भाई के जीवन में समृद्धि, स्थिरता और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने के लिए दिया जाता है।
सिक्का: इसे समृद्धि और आर्थिक स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। यह भाई के जीवन में आर्थिक उन्नति और सफलता का प्रतीक है।
सुपारी: इसे लंबी आयु और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसे शुभ कार्यों और पूजा में शक्ति और स्थिरता के लिए उपयोग किया जाता है। काले व नीले रंग के धागे को छोड़कर मुख्यत: लाल अथवा पीले रंग की राखी भी अत्यन्त महत्व रखती है। साथ ही गुलाबी रंग भी प्रेम, सौहार्द्र और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य यह होता है कि बहन अपने भाई को जीवन में सुख-समृद्धि, दीर्घायु और सफलता का आशीर्वाद दे।
इस रक्षा बंधन अपने भाई से उपहार के रूप में दो चीजे जरूर मांगे, पहला कि स्त्रियों का सम्मान करे और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे।