राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र में कविताओं से गूंजी स्वर लहरियां – Chhotikashi.com

राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र में कविताओं से गूंजी स्वर लहरियां

बीकानेर। राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र (एनआरसीसी) में कविता पाठ का आयोजन किया गया। केन्‍द्र में चल रहे हिन्‍दी चेतना मास (14 सित.-14 अक्‍टूबर) के तहत आयोजित इस कविता पाठ कार्यक्रम में बीकानेर के जाने-माने साहित्‍यकारों ने शिरकत की।  इस अवसर पर बीकानेर के प्रसिद्ध उद्बघोषक व साहित्‍यकार संजय पुरोहित ने ‘पिता’ व ‘मां पर अपनी कविताओं के माध्‍यम से सामाजिक तानाबानों में उलझे इन रिश्‍तों के मर्म को छुआ। युवा कवि श्‍याम ‘निर्मोही’ ने एनआरसीसी पर उनके द्वारा लिखित ‘जय-जय-जय राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान’ गीत सुनाया वहीं ‘सुन मेरे मन के कबीर’ रचना से अंत:करण के भावों को प्रस्फुटित किया।  इस अवसर पर केन्‍द्र के निदेशक डॉ.राजेश कुमार सावल ने अपनी स्‍वरचित कविताओं यथा- ‘सैर’, ‘विचारों को मुस्‍कुराने दो’, ‘यह देश हमारा है’, ‘आज दिल का सामना दफ्तर से हो गया’ तथा ‘इजाजत मिलेगी क्‍या’ द्वारा मानवीय भावों को बखूबी शब्‍दों में पिरोया। डॉ. सावल ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि कविताओं में तनाव दूर करने का माद्दा होता है, कवि रचना (साहित्‍य) के माध्‍यम से नए विचारों का सृजन करता है और लोक हितार्थ उन्‍हें स्‍वछंद विचरण हेतु छोड़ देता है और इनके सकारात्‍मक परिणाम मिलते हैं।  अन्‍य अतिथि कवि व गीतकार जुगल किशोर पुरोहित द्वारा ‘हिन्‍दी भाषा शान है, हिन्‍दी ही है मान, ‘हे मात-पिता तेरी गोद में जीना सीखा है’ तथा ‘मां तूम दुख सब हरो’ रचनाओं को सस्‍वर गाते हुए सभी का ध्‍यान खींचा। वहीं युवा कवि गोपाल पुरोहित ने ‘पीर पुरानी’ रचना सुनाते हुए सदन को मंत्रमुग्‍ध कर वाह-वाही लूटी।  केन्‍द्र के इस कार्यक्रम में एनआरसीसी स्‍टाफ सहित केन्‍द्रीय शुष्‍क बागवानी संस्‍थान व अन्‍य कई गणमान्‍यों यथा- डॉ.अजय कुमार वर्मा, सुजीत जावा, पूनम रायका, पूनम कंडारा, अमित तेजी आदि ने शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन केन्‍द्र के नेमीचंद बारासा, सहायक मुख्‍य तकनीकी अधिकारी द्वारा किया गया।


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