मां पद्मावतीजी की हजारों पंचदीपों से सामूहिक महाआरती से जगमग हो रहा कृष्णगिरी तीर्थ धाम – Chhotikashi.com

मां पद्मावतीजी की हजारों पंचदीपों से सामूहिक महाआरती से जगमग हो रहा कृष्णगिरी तीर्थ धाम

                              हवन यज्ञ की आलौकिक ऊर्जा से भरपूर लबरेज़ हो रहे श्रद्धालु     पूज्य गुरुदेव ने लक्ष्मीमुद्रा के साथ कनकधारा स्तोत्र का वाचन कर श्रद्धालुओं को किया लाभान्वित     भौतिक व आध्यात्मिक की इच्छाएं पूरी करती है सिद्धिदात्री : राष्ट्रसंत श्री वसंत विजय जी महाराज     कृष्णगिरी। भारत की दिव्यतम नवरात्रि श्रीकृष्णगिरी शक्ति महोत्सव में जगत जननी राजराजेश्वरी पाताल लोक की महारानी देवी मां पद्मावतीजी की प्रतिदिन शाम के सत्र में विभिन्न बीज मन्त्रों, सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठ के साथ 36 कुंडो में दुर्लभ औषधियों की आहुतियों से आलौकिक ऊर्जा प्रदान कर रहे हवन यज्ञ की पूर्णाहुति पर पांच दीपों से सामूहिक महाआरती तीर्थ धाम को दिव्यता के साथ जगमग कर रही है। दस दिवसीय यह क्रम प्रतिदिन जारी है। शक्तिपीठाधीपति, वचन सिद्ध साधक, राष्ट्रसंत श्री वसंत विजय जी महाराज की पावन निश्रा में पर्व विशेष के मद्देनज़र देश और दुनिया से रोजाना आ रहे मां के भक्तों की बड़ी संख्या में इजाफा भी हो रहा है। इसी क्रम में दीप पूजा से देवी देवताओं की प्रसन्नता का शास्त्रोक्त विधान एवं व्याख्यान देते हुए साधना के शिखर पुरुष श्री वसंत विजय जी महाराज ने कहा कि दीप पूजा के दुर्लभ रहस्य है, व्यक्ति की हर क्रिया का फ़ल प्रतिक्रिया के रूप में मिलता है। यदि नहीं मिलता है तो निश्चित ही उस क्रिया में गलती की संभावना है, जिसे सुधारना आवश्यक है। संतश्रीजी ने कहा हिंदू सनातन धर्म में प्रत्येक पर्व त्यौहार की अपनी वृहद स्तर की तेजोमय आध्यात्मिक, श्रद्धा भक्तिपूर्ण महिमा है। दिवस विशेष को कृत्रिम जीवन नहीं जीने की सीख देते हुए श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा वाचन में राष्ट्रसंत श्री वसंत विजय जी महाराज ने बताया कि देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक सिद्धिदात्री की पूजा नौवें दिन की जाती है, जिनका स्वरूप और गुण अत्यंत भव्य तथा दिव्य है। समस्त सिद्धियों व शक्तियों को देने वाली, चार हाथों वाली मां सिद्धिदात्री संतों, योगियों और साधकों के लिए विशेष रूप से पूजनीय है। इनकी ध्यान व साधना से सभी प्रकार की भौतिक व आध्यात्मिक की इच्छाएं पूरी होती है। आगामी दीपोत्सव की सभी को शुभकामनाएं देते हुए शुक्रवार दिवस विशेष मां महालक्ष्मीजी की अनन्य कृपा प्रदान करने वाला आदि शंकराचार्यजी द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र का वाचन लक्ष्मी मुद्रा के साथ मय प्रसंग के सुना कर लाभान्वित किया। उन्होंने कहा कि मन से संसार बनता है, मन में मस्ती है तो जीवन भी मस्त होगा। इसलिए दुख दरिद्रता को मन से निकालने पर जीवन में सुख समृद्धि निश्चित आएगी। राष्ट्रसंत श्री वसंत विजय जी महाराज ने कहा, संसार में जीने का तरीका आ जाए तभी व्यक्ति का मंदिरों, तीर्थ आदि में जाना सत्संग प्रवचन सुनना सार्थक होगा। दया को धर्म का मूल बताते हुए पूज्य गुरुदेवश्री वसंत विजय जी महाराज ने कहा कि जहां दान धर्म होगा, वहां लक्ष्मीजी भी स्थिर रहेगी वे यह भी बोले, दान देते समय भावनाएं सदैव श्रेष्ठ होनी चाहिए। डॉ संकेश छाजेड़ ने बताया कि कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल एवं थॉट योगा यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया गया। सुबह के सत्र में मां पद्मावतीजी का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक किया गया, इसके बाद सभी श्रद्धालुओं ने साधना कक्ष में पूज्य गुरुदेव के सान्निध्य में जाप अनुष्ठान में भाग लेकर सामूहिक रुप से ओम धन लक्ष्मी शुभ लक्ष्मी महालक्ष्मी स्वाहा मंत्र का जाप भी किया। उन्होंने बताया कि जैन संगठन चेन्नई के गुरु भक्त डॉ विजय कटारिया के साथ 6 सदस्यीय चिकित्सकों की टीम ने तीर्थ धाम में उपस्थित हजारों आगंतुक श्रद्धालुजनों का निशुल्क स्वास्थ्य जांच कर फ्री दवाई दी। इनमें जनरल, फिजिशियन, आई, डेंटिस्ट व हार्ट स्पेशलिस्ट आदि चिकित्सकगण शामिल थे।


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