राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में हिन्दी चेतना मास पुरस्कार वितरण
बीकानेर। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि आजादी से पूर्व, राष्ट्रीय चरित्र के कारण हमने हिन्दी भाषा को अपनाया, अत: देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली हिन्दी भाषा को गौरव के रूप में लिया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में साेमवार काे हिन्दी चेतना मास पुरस्कार वितरण एवं समापन समारोह कुलपति ने कहा कि दुनियां के विकसित देशों ने अपनी ही भाषा को लेकर उन्नति की है, ऐसे में भारत जो कि भाषायी दृष्टिकोण से एक बड़ा गुलदस्ता है, अपनी भाषा को लेकर आगे बढ़े, क्योंकि भाषा की समृद्धि उसे अपनाने से बढ़ती है। कुलपति ने हिन्दी भाषा में विद्यमान अनेक विशेषताओं को सदन के समक्ष रखा। केन्द्र निदेशक व कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.राजेश कुमार सावल ने कहा कि केन्द्र में कार्यालयीन कार्यों के अलावा ऊंटों के विविध पहलुओं से जुड़े 100 से अधिक हिन्दी प्रकाशन उपलब्ध है, उष्ट्र पालकों, किसानों, उद्यमियों आदि से हिन्दी में संवाद स्थापित किया जाता है ताकि केन्द्र की अनुसंधान उपलब्धियों के बारे में आमजन में अधिकाधिक जानकारी प्रचारित-प्रसारित की जा सकें और इसका लाभ जरूरतमंदों को मिल सकें। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ.जगदीश राणे, निदेशक, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने कहा कि जब विश्व के अधिकांशत: राष्ट्र, अपनी भाषा के प्रयोग हेतु प्रतिबद्ध हैं तो हमें देश में निज भाषा हिन्दी को भी उसी उद्देश्यार्थ अपनाना चाहिए। केन्द्र में चेतना मास के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं यथा- हिन्दी में निबंध, हिन्दी में टिप्पणी एवं प्रारुप लेखन, हिन्दी में श्रुति लेखन, कम्प्यूटर पर यूनिकोड में हिन्दी टंकण, हिन्दी में प्रश्न मंच, हिन्दी में शोध-पत्र पोस्टर प्रदर्शन प्रतियोगिता के विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन नेमीचंद बारासा, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी (राजभाषा) द्वारा किया गया।