अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बाेले प्राे. ए.पी.पाढ़ी, कोई भी राष्ट्र विकसित तभी जब लाेगाें का विकास हाे
बीकानेर। ईप्सा के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व कुलपति बहरमपुर विश्वविद्यालय, ओड़िसा प्राे. ए.पी.पाढ़ी ने शुक्रवार काे बीकानेर में कहा कि कोई भी राष्ट्र तभी विकसित होता है जब उसके लोगों का विकास होता है। उन्होने विकसित भारत के साझा लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर विश्वविद्यालय के छात्रों एवं युवाओं की ऊर्जा को दिशा देने की जरूरत पर जोर दिया।
भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद एवं महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में इंटरनेशनल संगोष्ठी ’’विकसित भारत-2047’’ का शुभारंभ के माैके पर मुख्य वक्ता के रुप में पाढ़ी ने कहा कि युवा वर्ग इसे आंदोलन समझ कर अपने जीवन में परिवर्तनकारी एजेंडा शामिल कर अपनी भूमिका सुनिश्चित करें। उन्होने भारत के प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं काॅलेज में इस हेतु विशेष अभियान चलाने का सुझाव दिया।
विश्वविद्यालय के संत मीराबाई सभागार में विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि देश भर से आये शिक्षाविदाें की उपस्थिति से विश्वविद्यालय में एक लघु भारत की संकल्पना साकार हो रही है।
भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के महासचिव प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने परिषद की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इंटरनेशनल संगोष्ठी के अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई स्मारिका ’’मरू गंगा’’ एवं संगोष्ठी में भाग ले रहे 25 से अधिक प्रतिभागियों की शोध एवं अकादमिक पुस्तकों का विमोचन किया गया जिसमें मुख्य रूप से विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज कुमार दीक्षित एवं प्रो. कौशल किशोर मिश्रा द्वारा लिखित पुस्तक ’’ मोर्नाकी इन मनुस्मृति ’’ का विमोचन भी किया गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रो. जुगल किशोर मिश्रा, बहरमपुर विश्वविद्यालय, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी का पुरस्कार श्रेया घोष, सीनीयर शोधार्थी का पुरस्कार डाॅ. अजय कुमार सिंह, फीमेल राजनीति शास्त्री का पुरस्कार प्रो. वंदना मिश्रा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र का पुरस्कार गुवाहाटी की पूर्ण कान्ता टाॅय एवं प्रो. अनसूईया नैन, केरला विश्वविद्यालय को दिया गया। कार्यक्रम में स्थानीय आयोजन सचिव डाॅ. धर्मेश हरवानी एवं डाॅ. मेघना शर्मा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. अनसुईया नैन ने किया।
इससे पहले अतिथियाें के साथ प्रो एम.एल.छिम्पा, पूर्व कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल, प्रो. सोमा भौमिक, उपाध्यक्ष ईप्सा, कुलपति विलिमय कैरी विश्वविद्यालय, शिलांग, मेघालय, प्रो. के. जयप्रसाद, पूर्व कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय केरला ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गीताजंलि दास, कुलपति बहरमपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा, महासचिव प्रो. संजीव कुमार शर्मा, पूर्व कुलपति महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी बिहार एवं विश्वविद्यालय कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित उपस्थित रहे। दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. एस. पी. शाही , कुलपति मगध विश्वविद्यालय, प्रो. अजमेर सिंह मलिक, कुलपति चैधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा ने भारतीय राजनीति विज्ञान का भारत में भविष्य विषय पर अपना व्याख्यान दिया। संगोष्ठी में प्रो. एम.एस. चतुर्वेदी मेमोरियल व्याख्यान का भी आयोजन हुआ जिसमें प्रो. कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री ने अपना व्याख्यान दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन प्राे. एम.एल. छिम्पा पूर्व कुलपति अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया।