भारत के ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं उच्च शिक्षण संस्थान : यूनीसेफ भारत समाज सुरक्षा प्रमुख ह्यून ही बॉन
बीकानेर। यूनीसेफ भारत {Unicef India} की सामाजिक नीति एवं समाज सुरक्षा प्रमुख ह्यून ही बॉन (Hyun Hee Ban) ने शुक्रवार को बीकानेर में कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान भारत के ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी (एमजीएसयू) में सतत् विकास शोधपीठ एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में ग्रामीण विकास में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने आह्वान किया कि विषम परिस्थितियों एवं मरुस्थलीय क्षेत्र के परिवेश से परिचित है। यहां की समस्याओं से परिचित होने के कारण यहां के उच्च शिक्षण संस्थान क्षेत्र की आवश्यकतानुसार विकास की नीतियां बनाने में सरकार का सहयोग कर क्षेत्र के विकास की प्रक्रिया को गति दे सकते हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों को उन्नत भारत अभियान एवं सतत् विकास लक्ष्यों का पंचायतीराज के माध्यम से क्रियान्वयन कैसे हो इस विषय पर ओरियंट करना था। एमजीएसयू से सम्बद्धता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों/प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
महाराजा गंगासिंह सतत् विकास शोधपीठ के प्रभारी प्रोफेसर राजाराम चोयल ने कहा कि हमारा विवि गोद लिए गांव के विकास के माध्यम से सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में अपनी भूमिका सुनिश्चित करता आया है। यूनिसेफ के शफकत हुसैन ने कार्यक्रम की रुपरेखा पेश की।अध्यक्षता करते हुए एमजीएसयू के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने बताया कि भारत का विकास उच्च शिक्षण संस्थानों के सहयोग के बिना संभव नहीं और देश के युवाओं को इस प्रक्रिया में जोडऩे से विकास की गति दुगुनी हो जाएगी। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अपने आसपास के गांवों के विकास में योगदान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
विशिष्ट अतिथि मेयर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान संभव है इसलिए उच्च शिक्षण संस्थानों को आगे आकर ग्रामीण विकास में सहयोग करना चाहिए।
यूनिसेफ के सामाजिक नीति विशेषज्ञ सोमेन बागची, यूनिसेफ दिल्ली कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से जुड़े युनिसेफ प्रतिनिधि आयुष, आईआईटी जोधपुर से डॉ. विवेक विजय, यूनिसेफ राजस्थान के विक्रम सिंह राघव ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कंवर शेखावत ने किया।