हिंदू सनातन धर्म में सर्वप्रथम प्रथम पूजनीय है काल भैरवदेव : स्वामी नाग़राजनाथजी
अनादि काल से विराट एवं उग्र देव भैरवनाथ तत्काल मिटाते हैं कष्ट, दुख, संकट
भैरवाष्टमी पर त्रिदिवसीय विशेष पूजा, अभिषेक व प्रसाद कार्यक्रम जारी
बेंगलूरु। यहां के कब्बनपेट सिद्धना लेन स्थित 200 वर्षों से प्राचीन स्थापित चमत्कारिक श्रीभैरवनाथजी के मंदिर में भैरवाष्टमी पर्व के मद्देनजर विशेष पूजा, अभिषेक, होम, नैवेद्य प्रसाद भोग अर्पण कर भगवान की अतिदिव्य प्रतिमा का श्रृंगार के साथ आरती व अन्नदान का त्रिदिवसीय कार्यक्रम सुचारू रूप से शुरू हुआ। जो रविवार को विशेष तथा कार्तिक मास के अंतिम सोमवार को विधि विधान से नियमित हवन यज्ञ में आहुतियां एवं भैरव देव की प्रतिमा के महाभिषेक, पूजन, आरती एवं भोग प्रसाद वितरण के साथ संपन्न होगा। स्वतंत्रता सेनानी व ताम्र पत्र पुरस्कार विजेता परम पूज्य पट्ट पूजा श्री भैरप्पा भैरवैक्यजी की पावन प्रेरणामय आशीर्वाद से हो रहे इस आयोजन में नाथ संप्रदाय से संबंधित मंदिर के विद्वान महंत पीठाधीश्वर स्वामी नागराजनाथजी के निर्देशन में अर्चकद्वय भैरवनाथ एवं मच्छेंद्रनाथ द्वारा बाबा भैरवनाथजी का पूजन अभिषेक श्रंगार व होम आदि में आहुतियां दी जा रही है। प्रातः 6 बजे सुप्रभात रोटप्रसाद भोग के बाद रुद्राभिषेक, पंचामृत अभिषेक किया गया। वहीं गणपति, नवग्रह, स्वर्णाकर्षण होम के बाद मिष्ठान भोग प्रसाद का वितरण श्रद्धालु भक्तों में किया गया। इस अवसर पर अपने विद्वता भरे संदेश में पीठाधीश्वर एवं अखिल कर्नाटक नाथ पंथ जोगी संप्रदाय के अध्यक्ष स्वामी नाग़राजनाथजी ने कहा कि वैदिक शास्त्रोक्त मंत्रों के द्वारा किसी भी मंदिर अथवा देव प्रतिमा में शक्ति का संचार स्थापित होता है, जो भक्तों के दर्शन करने पर उनके कष्टों का निवारण अथवा मनोकामना की पूर्ति करती है। कोई भी प्रतिष्ठित अथवा प्राचीन देवस्थान या गुरु अपनी प्रबल शक्ति से ही भक्तों को अपने पास बुला सकते हैं। स्वामीजी ने कहा कि अनादि काल से जिसका न कोई आदि है ना अंत, वह देवाधिदेव भगवान शंकर के रुद्र अवतार श्रीभैरवदेव है। हिंदू सनातन धर्म में सर्वप्रथम प्रथम पूजनीय श्रीभैरवदेव की पूजा दर्शन मात्र से भक्तों के अनेक दुख, कष्ट, संकट तत्काल मिट जाते हैं तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। रूद्र रूप अवतार भैरव देव भगवान शंकर जहां शांत वह ध्यानस्थ रहते हैं वहीं शिव ही रूद्रअवतार भैरव देव के रूप में उग्र होकर अपने भक्तों के शत्रुओं, कष्टों का नाश करते हैं। उन्होंने कहा, भगवान की भक्ति में सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ निस्वार्थ भाव होना जरूरी है। मंदिर से जुड़े भक्त डॉ विवेक अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने श्रीभैरवदेव मंदिर में शीश वंदन कर स्वामीजी का आशीर्वाद प्राप्त किया।