भारत में उष्‍ट्र दुग्‍ध मूल्‍य श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण की राह विषयक एक दिवसीय कार्यशाला – Chhotikashi.com

भारत में उष्‍ट्र दुग्‍ध मूल्‍य श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण की राह विषयक एक दिवसीय कार्यशाला

बीकानेर। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ.ए.ओ.-फूड एण्‍ड एग्रीकल्‍चर ऑर्गेनाईजेशन ऑफ दी युनाइटेड नेशन्‍स), नई दिल्‍ली एवं भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्‍ट्र अनुसन्‍धान केन्‍द्र (एनआरसीसी) के संयुक्‍त तत्‍वावधान में ‘‘अंतर्राष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष -2024 उत्‍सव और भारत में उष्‍ट्र दुग्‍ध मूल्‍य श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण की राह ’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में भारत में उष्‍ट्र दुग्‍ध मूल्‍य श्रृंखला के सुदृढ़ीकरण को लेकर गहन मंथन हुआ साथ ही इस उपलक्ष्‍य पर एनआरसीसी के उष्‍ट्र खेल परिसर में इसी दिवस को ऊंट दौड़ व ऊंट सजावट प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई । खाद्य एवं कृषि संगठन के एडिशनल डायरेक्‍टर जनरल थानावत तिएनसिन ने सर्वप्रथम विडियो संदेश के माध्‍यम से इस कार्यक्रम के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए इसकी सार्थकता हेतु बधाई संप्रेषित की। वहीं कार्यक्रम में ताकायुकी हागिवारा, एफ.ए.ओ. प्रतिनिधि, भारत ने स्‍वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष -2024 को केवल इसी वर्ष तक सीमित नहीं रखा जाएगा बल्कि इसे आगामी वर्षों में भी घुमन्‍तू प्रजाति वर्ष के रूप में जारी रखा जाएगा । उन्‍होंने कहा कि ऊंटनी के दूध की और अच्‍छे तरीके से और बड़े स्‍तर पर बिक्री की जानी चाहिए। कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में अल्‍का उपाध्‍याय, सचिव, मत्‍स्‍य, पशुपालन व डेयरी विभाग, नई दिल्‍ली ने कहा कि ऊंटाें की लगातार घटती संख्‍या चिंतन का विषय है, रेगिस्‍तान के इस जहाज हेतु ठोस कारगर उपाय खोजे जाने होंगे। उन्‍होंने कहा कि बढ़ते मशीनीकरण से ऊंटाें की संख्‍या कम हो रही है, परंतु इसके पीछे अन्‍य पहलू भी है, इस पशु की आर्थिक उपयोगिता (मूल्‍य) अत्‍यधिक प्रभावित हुई है। उन्‍होंने ऊंट प्रजाति के सरंक्षण हेतु सक्रिय प्रजनन प्रणाली, चरागाह विकास, उष्‍ट्र दुग्‍ध मूल्‍य श्रृंखला का कार्यान्‍वयन तथा इस हेतु किसानों को उनके उत्‍पाद लेने हेतु आश्‍वस्‍त करने, उष्‍ट्र दुग्‍ध पर चर्चा, नस्‍ल सुधार हेतु श्रेष्‍ठ नस्‍ल के मादा व नर ऊंट की चयन पद्वति आदि पहलुओं की ओर सभा का ध्‍यान इंगित किया। डॉ समित शर्मा, शासन सचिव, पशुपालन, मत्स्य एवं गौ-पालन विभाग, राजस्‍थान ने कहा कि पहले ऊंटाें का पारंपरिक उपयोग अत्‍यधिक था परंतु आधुनिक समय में इस पशु का दायरा सिमटता जा रहा है जो कि एक गंभीर विषय है। अत: इस पशु एवं संबद्ध समुदायों के कल्‍याण हेतु समय रहते उचित प्रयास जरूरी है। डॉ.शर्मा ने ऊंटों के संरक्षण हेतु सरकारी कदम उठाने, ऊंट का टूरिज्‍म में उपयोग बढ़ाने, ऊँट का पारिस्थितिकीय महत्‍व आदि पहलुओं पर भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर डॉ. अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त (एएचसी), पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार ने कहा कि किसी भी पशुधन को आर्थिक लाभ से जोड़ने पर ही पशुपालक उस पशुधन से जुडे़गा, अत: ऊंट को भी आर्थिक उपादेयता से जोड़ कर देखना होगा खासकर इस पशु को दूध के परिप्रेक्ष्‍य में ही रखकर सोचना होगा और आगे बढ़ना होगा। उन्‍होंने पशुधन अभियान के तहत ऊँट प्रजाति को सम्‍बल देने की भी बात कही । एनआरसीसी के निदेशक डॉ.आर.के.सावल ने कहा कि भारत में ऊंटाें से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एफ.ए.ओ. के साथ यह समन्‍वय अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है। केन्‍द्र की ओर से इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन ने भी विचार रखे। वहीं इस दौरान केन्‍द्र परिसर में विभिन्‍न सरकारी व गैर सरकारी संगठन यथा- एनआरसीसी, सेलको फाउंडेशन, बैंगलोर, अमूल मिल्‍क, गुजरात, लोटस डेयर, एलपीपीएस, सादड़ी, आदविक फूड्स, बहुला नैचुरल्‍स द्वारा अपनी उन्‍नत तकनीकी/उत्‍पाद संबंधी प्रदर्शनी/स्‍टॉल लगाई गई। अतिथियों द्वारा इस अवसर पर एनआरसीसी के उष्‍ट्र खेल परिसर में आयोजित ऊंट दौड़ व ऊंट सजावट प्रतियोगिताओं के विजेताओं का पुरस्‍कृत किया गया।


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