बीकानेर में 7 मार्च से शुरू होगा नाटकों का मेला – Chhotikashi.com

बीकानेर में 7 मार्च से शुरू होगा नाटकों का मेला

  बीकानेर। जिला प्रशासन बीकानेर, अनुराग कला केन्द्र, विरासत संवर्द्वन संस्थान, श्री तौलाराम हंसराज डागा चैरिटेबल ट्रस्ट, होटल मिलेनियम और सेठ तोलाराम बाफना अकेडमी द्वारा 7 मार्च से 12 मार्च तक बीकानेर में आयोजित होने जा रहे इस साल के बीकानेर थिएटर फेस्टिवल में अभिनेता इरफ़ान खान और पंकज त्रिपाठी के गुरू और भारतीय रंगमंच के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी प्रसन्ना और सुरेश भारद्वाज भी शामिल होंगे। जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि ने बताया कि प्रसन्ना हेगोडू भारतीय रंगमंच के सबसे बड़े शिक्षक माने जाते हैं। वे अभिनेता इरफ़ान खान और पंकज त्रिपाठी के भी गुरू रहें हैं । कर्नाटक रंगमंच पर कार्य करने वाले प्रसन्ना की भारतीय अभिनेताओं के लिए किताब इंडियन मैथड इन एक्टिंग भारत में काफी सराही गई है। वो आधुनिक कन्नड़ थिएटर के अग्रदूत और् नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के स्नातक है। वे कर्नाटक की नाट्य संस्था समुदाय के संस्थापक भी है। सातवें दशक मैं प्रसन्ना ने कन्नड़ रंगमंच को एक रचनात्मक दिशा दी। वह एक कन्नड़ नाटककार, उपन्यासकार और कवि भी है। प्रसन्ना अपने सांगठनिक कौशल और नए विचारों के लिए रंगमंच मैं जाने जाते हैं। प्रसन्ना को निर्देशन के लिये संगीत नाटक अकादमी सम्मान मिला है। वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश भारद्वाज ने लेखक, निर्देशक, अभिनेता और छायाकार के विविध आयाम में काम किया, साथ ही टेलीविजन के लिए एक स्वतंत्र निर्देशक, डिजाइनर और लेखक के रूप में भी काम किया। भारद्वाज ने ज़ी टीवी के लिए आप की अदालत के साथ-साथ आसमान कैसे कैसे , लेखू , गुमराह , उठ जाग मुसाफिर , अपने अपने सपने और दूरदर्शन के लिए कई अन्य सहित कई लोकप्रिय कार्यक्रमों की कल्पना और निर्देशन किया। वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रोफेसर और डीन के रूप में कार्य कर चुके है। सुरेश भारद्वाज इस साल बीकानेर में राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी अभिनीत नाटक 'जीना इसी का नाम है' का निर्देशन भी करेंगे।   शहर के वयोवृद्ध रंगकर्मी नानक हिंदुस्तानी को अर्पित होगा इस साल का निर्मोही नाट्य सम्मान बीकानेर विकास प्राधिकरण की सचिव अपर्णा गुप्ता ने बताया कि बीकानेर थियेटर फेस्टिवल में इस साल का निर्मोही नाट्य सम्मान शहर के वयोवृद्ध रंगकर्मी नानक हिन्दुस्तानी को अर्पित किया जाएगा। नानक हिन्दुस्तानी उन वरिष्ठ रंगकमियों में से एक है जिन्होंने इस शहर में रंगकर्म की शुरुआत और उसे दर्शकों तक ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नानक हिंदुस्तानी ने खामोश अदालत जारी है, किराए के आंसू, सेठ सुधारचंद, पंछी ऐसे आते है, बाबू जी, देश की सीमा पर, कंजूस सेठ, खुली आँखे, मैली नज़र, पनडुब्बी जैसे नाटको में अभिनय किया। इसके साथ ही नानक हिन्दुस्तानी रस गन्धर्व, आखिर कब तक, चीख जैसे नाटको का निर्देशन भी कर चुके है। सम्मान स्वरूप नानक हिंदुस्तानी को शॉल, श्री फल, प्रतीक चिन्ह और 21 हजार रूपये की राशि अर्पित की जायेगी।


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