नारी ; सृजन की अनुपम धारा.. – Chhotikashi.com

नारी ; सृजन की अनुपम धारा..

                      नारी है सृजन की मीठी धुन, स्नेह, ममता, शक्ति का संगुन। स्नेहिल स्पर्श से जीवन महकाए, सपनों को अपने पंख लगाए। कोमल है पर निर्बल नहीं, धधकती ज्वाला से कम नहीं। त्याग, समर्पण जिसकी पहचान, धैर्य, सहनशीलता का है मान। बेटी बनकर घर में उजियारा, माँ बनकर प्रेम का सहारा। बहन की ममता, सखि-सा अपनापन, संगिनी बन दे अटूट विश्वास का दर्पण। संघर्षों में जो अडिग खड़ी, हर आँधी से जो लड़ी। नभ को जिसने छू लिया, हर बंधन को दूर किया। आज नमन है उस नारी को, जो प्रेम, शक्ति, नज़र की तीव्रता है। हर मोड़ पर जो संबल देती, सृष्टि की अनुपम विभूति है। नारी तुझे शत्-शत् वंदन, तेरे आँचल में पूरा गगन।       अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं.. सीए बीएम जैन, अहमदाबाद


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