कृष्णगिरी आने वाले श्रद्धालु सौभाग्यशाली, जो मां की भक्ति के साथ संतश्री वसंत विजय जी का आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे : राज्यपाल गेहलोत – Chhotikashi.com

कृष्णगिरी आने वाले श्रद्धालु सौभाग्यशाली, जो मां की भक्ति के साथ संतश्री वसंत विजय जी का आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे : राज्यपाल गेहलोत

        कृष्णगिरी शक्ति महोत्सव में कर्नाटक राजभवन की ओर से राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेवश्री वसंत विजय जी महाराज का हुआ सम्मान         बृजमंडल की अधिष्ठायिका कात्यायनी देवी की महिमा का हुआ वर्णन, जिनकी पूजा कर गोपियों ने श्रीकृष्ण को प्राप्त किया था..           कृष्णगिरी। श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थ धाम में शक्तिपीठ अधिपति राष्ट्रसंत डॉ श्री वसंत विजय जी महाराज की पावन निश्रा में भारत की दिव्यतम 10 दिवसीय नवरात्रि पर्व विशेष कृष्णगिरी शक्ति महोत्सव के भव्य आयोजन में मंगलवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत ने शिरकत कर पूज्यश्री का आशीर्वाद लिया। इस दौरान राज्यपाल गेहलोत ने राजभवन कर्नाटक की ओर से सिद्ध साधक संत पूज्य गुरुदेव का सम्मान भी किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नवरात्रि ना केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह हमें आत्म संयम, भक्ति और आत्म शुद्धि का संदेश भी देता है। देवी दुर्गा की आराधना और उनकी शक्ति के विभिन्न रूपों का उल्लेख दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। उन्होंने कहा कि देश और दुनियाभर से विश्व विख्यात स्वर्ग तुल्य सजे कृष्णगिरी तीर्थधाम आने वाले श्रद्धालु भक्तजन परम सौभाग्यशाली है, जो 21 रुपों में विराजित मां पदमावतीजी की भक्तिमय आराधना के साथ-साथ सिद्ध साधक संतश्री वसंत विजय जी महाराज का आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे हैं। निश्चित ही यह अवसर एवं पर्व आत्मशुद्धि एवं नव ऊर्जा को प्राप्त करने का है। राज्यपाल गेहलोत ने कहा कि विश्व शांति एवं विश्व कल्याण के मार्ग पर अग्रसर जन जन की आस्था एवं हृदय में बसे श्री वसंत विजय जी महाराज जैसे बिरले संत देश और दुनिया में धर्म पताका फहरा रहे हैं। शक्तिपीठ तीर्थ धाम ट्रस्ट द्वारा मासिक पुस्तक कृपा प्रसाद के नवरात्रि, दीपावली अंक का विमोचन भी राज्यपाल ने अपने कर कमलों से किया। इस मौके पर नई दिल्ली के डॉ विकास एवं डॉ सुनीता भी मौजूद रहे। इससे पूर्व पूज्य गुरुदेव डॉ वसंत विजय जी महाराज ने षष्ठी तिथि अर्थात 6 के अंक को शुक्र ग्रह का बताते हुए कहा कि शुक्र की अधिदेव महालक्ष्मीजी है। जो धन, सुख, वैभव प्रदान करता है।देवी भागवत में कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर दुर्गा के छठे अवतार के रूप में अवतरित हुई मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री थी। देवी भागवत के मुताबिक कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुई भगवती से वरदान में जब मां को ही मांगा तो उनकी पुत्री रूप में देवी कात्यायनी ने जन्म लिया। बृजमंडल की अधिष्ठायिका कात्यायनी देवी की पूजा कर गोपियों ने श्रीकृष्ण को प्राप्त किया था। गुरुभक्त के रूप में आए राज्यपाल थावरचंद गेहलोत का जिक्र करते हुए राष्ट्रसंत श्री वसंत विजय जी महाराज ने कहा कि कोई भी व्यक्ति वस्त्र एवं दिखावे से नहीं, बल्कि अपनी जीवन शैली से महान बनता है। मृदु व्यवहार, सादगी परक, बेदाग छवि के धनी गेहलोत इसका सटीक उदाहरण है। पूज्य गुरुदेवश्री ने कहा कि राजतंत्र एवं राजकार्य में अपनी विशिष्ट शैली से एक राज्य के प्रथम नागरिक के ओहदे तक पहुंचना सामान्य बात नहीं है। वे बोले राजराजेश्वरी जगत जननी मां पद्मावती जी की कृपापात्र बनने वाले गेहलोत जैसे अच्छे लोगों के गुणगान का श्रवण करने से अन्य लोगों में भी अच्छाई का प्रवेश होता है। निश्चित ही श्रेष्ठ लोगों का सम्मान हर प्रकार से होना ही चाहिए। इस दौरान राज्यपाल का जहां स्वागत एवं सम्मान ट्रस्ट के डॉ संकेश छाजेड़, सागरमल जैन, रितेश नाहर आदि ने साफा, माल्यार्पण, चुनरी ओढ़ाकर व मेमेंटो भेंटकर किया, वहीं राजभवन कर्नाटक की ओर से राज्यपाल गेहलोत ने भी विश्व शान्तिदूत श्री वसंत विजय जी महाराज का माल्यार्पण कर एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया तथा आशिर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल एवं थॉट योगा पर लाइव प्रसारित किया गया। विश्व के अनेक देशों से शामिल हुए अनेक गुरुभक्त.. डॉ संकेश छाजेड़ ने बताया कि कृष्णगिरी शक्ति महोत्सव में रसिया, अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, अंडमान निकोबार, मॉरीशस सहित विश्व के कोने–कोने से एवं भारत के विभिन्न राज्यों–शहरों से श्रद्धावान लोग गुरुभक्तजन शामिल होने कृष्णगिरी पहुंचे हैं। इनमें राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारीगण भी शामिल हैं। पूज्य गुरुदेव श्रीजी की पवन निश्रा में ये सभी जन मां की भक्ति करते हुए साधारण रुप से ही कतार में लगकर ही प्रातः के सत्र में देवी मां पद्मावतीजी का दिव्य दुग्ध अभिषेक, फिर साधना कक्ष में जाप अनुष्ठान, दोपहर में देवी भागवत पुराण कथा श्रवण एवं हवन यज्ञ में आहुतियों के साक्षी बनकर अंततः रात्रि में पंचद्वीपों की अद्भुत सामूहिक महाआरती स्वयं अपने करकमलों से पहली बार कर रहे हैं।


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