एमजीएसयू में आयाेजित अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी : लोक कलाकारों ने दी रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
बीकानेर। फेकल्टी ऑफ सोशल साईंस, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डीन निसार-उल-हक ने भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 से लेकर अब तक की यात्रा के संदर्भ में विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक भाषायी एवं भौगोलिक परिस्थितियों में भिन्नता होने के बावजूद विश्व के अन्य राष्ट्रों की अपेक्षा विकास की एक लम्बी गाथा लिखी है। वर्तमान में जातियतां, धर्म एवं राजनीतिक मतभेदों के बावजूद विश्व की सबसे बड़ी युवा शक्ति के माध्यम से विकसित भारत की संकल्पना साकार हो सकती है।
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय एवं भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी विकसित भारत 2047 के अन्तर्गत उन्हाेंने यह बात कही। प्रथम सत्र में आयोजित संगोष्ठि “भारतीय वृतान्त” में विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. अनुपम शर्मा ने भारत की ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक व भौगोलिक पहलूओं पर प्रकाश डालते हुए विकसित भारत की संकल्पना के संदर्भ में अपना दृष्टिकोण रखा। लाॅ कमीशन ऑफ इण्डिया के सदस्य प्रो. राका आर्य ने संवैधानिक एवं विधिक पहलूओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों के संदर्भ में भी अपने विचार रखें।
प्रो. आर. के. सत्पथी, पूर्व निदेशक, आई.सी.एस.एस.आर. ने आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना, घरेलू उत्पाद नवाचारों आदि के संदर्भ में अपने विचार रखें। प्रो. विमल प्रसाद सिंह, कुलपति, झारखण्ड विश्वविद्यालय, अध्यक्षता करते हुए प्रो. आर.एस. यादव पूर्व कुलपति बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक हरियाणा ने भी विचार रखे।
संगोष्ठि के दूसरे दिन विश्वविद्यालय परिसर स्थित विभिन्न भवनों में करीब 25 तकनीकि सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें देश भर से आये शिक्षाविदों ने अलग-अलग विषयों पर अपना पत्रवाचन किया।
तकनीकि सत्र में ही विशेष रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं वर्तमान में आयुक्त, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग होलियन लाल गुईटे ने “डिजिटल मीडिया और चुनावी नतीजों पर इसका प्रभाव” विषय पर अपने शोध पत्र का वाचन किया। उन्होनें विभिन्न मीडिया एजेन्सीयों भारत सरकार के आंकड़ों, सोशल मीडिया प्लेटफार्म से प्राप्त आंकड़ों आदि का परिक्षण एवं विश्लेषण कर विस्तार पर विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया वर्तमान में लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चूनौती है इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों से नागरिकों के विचारों में परिवर्तन किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहां कि सोशल मीडिया के माध्यम से नागरिकों में जागरूकता बढ़ी है उन्होंने तकनीकि शब्दावली “वर्चुयल प्रोटेस्ट (आभासी विरोध)” के संदर्भ मे भी अलग-अलग बिन्दुओं के माध्यम से अपनी बात रखी।
तकनीकि सत्र में प्रो चांदनी सक्सैना ने “भारत विश्व में लोकतंत्र की ध्वजवाहक” विषय पर अपना पत्रवाचन किया।
मीडिया प्रभारी डाॅ बिट्ठल बिस्सा ने बताया कि संगोष्ठि में देश-विदेश से आये प्रतिभागियों के सम्मान में स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। जिसमें राजस्थान के प्रसिद्ध कालबेलिया भवाई नृत्य का प्रदर्शन कलाकारों द्वारा किया गया। प्रसिद्ध सूफी गायक असगर खाँ एण्ड पार्टी ने पधारो म्हारे देश एवं मार्कण्डेय रंगा ने धरती धोरा री गीतों की प्रस्तुतियां देकर प्रतिभागियों को राजस्थान की संस्कृति से अवगत करवाया। प्रतिभागियों को बीकानेर की परम्परागत खाद्य पदार्थों से अवगत करवाने हेतु कार्यक्रम स्थल पर भूजिया, पापड़, रसगुल्ला, दूध, रबड़ी, कचैडी आदि की स्टाॅल्स उपलब्ध करवाई गई। विश्व रिकाॅर्ड धारी मूछवादक गिरधर लाल, भोपा-भोपी, कच्ची घोड़ी नृत्य एवं मसकवादन का भी प्रदर्शन किया गया। समृद्ध कला संस्कृति का परिचय करवाने हेतु कार्यक्रम स्थल पर उस्ता आर्ट, केमल-सफारी, केमल से बने आभुषण, वस्त्र, मथेरनी, चित्रकला, साफा प्रदर्शनी आदि का प्रदर्शन अन्तराष्ट्रिय कलाकार गोपाल एण्ड पार्टी द्वारा किया गया। प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय परिसर में ही केमल-सफारी का लूत्फ उठाया।
समापन समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि तीन दिवसीय संगाेष्ठी में विचार मंथन के माध्यम से एक सार्थक व सकारात्मक विचार मिला है जिसको संक्लन कर शीध्र ही भारत सरकार को भिजवाया जाएगा। उन्होंने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय भविष्य में भी इस प्रकार के शैक्षणिक आयोजन अग्रणी रूप से करता रहेगा ताकि विश्वविद्यालय का नाम देश विदेश के विश्वविद्यालयों की अग्रणी श्रेणी में शामिल हो सकें। भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के महासचिव प्रो संजीव कुमार ने परिषद की तरफ से विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय के तमाम कार्मिकों का सफल आयोजन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की महमान नवाजी एवं बीकानेर की समृद्ध कला संस्कृति प्रतिभागियों के लिए अविस्मरणीय रहेगी। कार्यक्रम में स्थानीय आयोजन सचिव डाॅ धर्मेश हरवाणी ने भी अपने विचार रखे।