परिवार में प्रेम सदैव परस्पर बना रहना चाहिए, जो औरों के लिए एंजॉयबल बने : सिद्धगुरुजी
गुरु और शिष्य का प्रेम अनकंडीशनल, विश्वास सबसे बड़ा कर्ज : सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुवर
ब्रह्मर्षि आश्रम में श्रीअष्टलक्ष्मी महायज्ञ के आध्यात्मिक, भक्तिमय उल्लास में हुई सुहाग सुहागिन पूजा
तिरुपति। विश्व विख्यात श्री सिद्धेश्वर तीर्थ ब्रह्मर्षि आश्रम में श्री अष्टलक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन बड़े ही आध्यात्मिक, भक्तिमय हर्षोल्लास के साथ मां की वंदना, आराधना, पूजन, अभिषेक, आरती व श्री सिद्धगुरुजी के प्रसाद रूपी आशीर्वचनों के रूप में सुचारू रूप से जारी है। पूज्यश्री सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुवर की अतिदिव्य पावन निश्रा प्राप्त करने आयोजन में देश और दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुभक्त यहां पहुंचे हुए हैं। आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश सांखला ने बताया कि आचार्य पंडित श्रीनिवासजी श्रीमाली के आचार्यत्व में अनेक विप्र पंडितों के माध्यम से अल सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही वैदिक मंत्रोच्चार, अभिषेक एवं माता लक्ष्मीजी की दुर्लभ मंत्रों से वंदना से शुरू होने वाली पूजा देर रात्रि तक संगीतकार कलाकारों द्वारा भक्तिमय भजनों की प्रस्तुतियों पर झूमने के साथ संपन्न होती है। इसी क्रम में श्रीपार्श्व पद्मावती पूजन के साथ विश्व भर में अनोखा एवं पहली बार सुहाग सुहागिन पूजा का कार्यक्रम भी पूज्य गुरुवर की सानिध्यता में यहां ब्रह्मर्षि आश्रम में हुआ। इस दौरान श्री सिद्धगुरुजी ने सभी को मंगलमय जीवन व आरोग्यमय उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर आरूढ़ होने का दिव्य आशीर्वाद भी दिया। साथ ही अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि साधुता कपड़ों में नहीं वह जीवन की एक परिपक्व स्तर की स्थिति है। साधुता साधन नहीं, साध्य अथवा परम आनंद है। पूज्यश्री ने कहा कि साधु का काम किसी को प्रभावित नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को प्रकाशित करने का होता है। सिद्धगुरुजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी प्रेरणादाई सीख देते हुए कहा कि जीवन में गुरु की खोज सदैव परख कर ही करनी चाहिए, क्योंकि गुरु और शिष्य का प्रेम अनकंडीशनल होता है। इस दौरान श्रीसिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुवर ने विश्वास को सबसे बड़ा कर्ज बताया। उन्होंने कहा कि इसमें परस्पर विश्वासघात को कतई स्थान नहीं मिलना चाहिए। सामर्थ्यवान गुरु अपने शिष्य का हाथ पकड़ कर उस के संसार को तो ठीक करता ही है संसार से पार भी लगा देते हैं। प्रसंगवश अनेक उदाहरणों के साथ उन्होंने कहा कि एक स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम सदा अंधा होता है, जबकि विवाह इंसान की आंखें खोल देता है। परिवार में सदैव प्रेम परस्पर बना रहना चाहिए जो औरों के लिए भी एंजॉयबल बने। पूज्यश्री ने खुशी को दुनिया की सबसे बड़ी घटना बताते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति हो, खुशी किसी के पास परमानेंट नहीं रहती। साथ ही वह यह भी बोले कि खुशी एक एंटरटेनमेंट की तरह है जो बाहर से आती है। ब्रह्मर्षि आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश सांखला ने बताया कि शनिवार को गुरु दीक्षा कार्यक्रम व महायज्ञ में आहुतियां दी जाएगी। उन्होंने बताया कि आयोजन के विभिन्न प्रकल्पों के सेवाभावी लाभार्थी भामाशाह दानदाताओं को पूज्यश्री गुरुवर की निश्रा में माल्यार्पण शल्यार्पण कर स्वागत सत्कार किया गया। सिद्धगुरु के परमात्म स्वरुप में अपने गुरुभक्तों की अदृश्य रक्षा व अद्भुत चमत्कारिक दर्शन प्रसंगों के अनुभव भी श्रद्धालुओं ने इस दौरान मंच से साझा किये। कार्यक्रम का संचालन ग्लोबल चेयरपर्सन सरला बोथरा एवं ग्लोबल यूथ चेयरपर्सन नवीन गिरिया ने संयुक्त रूप से किया। श्री सांखला ने बताया कि आश्रम के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों सहित महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष संगीता केजरीवाल, कर्नाटक अध्यक्ष एवं पूजा इंचार्ज अतुल सुरेखा, इंदु राठौड़ व यूथ प्रेसिडेंट प्रखर गुलेछा इत्यादि ने बतौर सेवादार कार्यकर्ता अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।