श्रीमद्जैनाचार्यश्री रामेश का 50वें सुवर्ण दीक्षा महामहोत्सव के उपलक्ष्य में शिखर दिवस – Chhotikashi.com

श्रीमद्जैनाचार्यश्री रामेश का 50वें सुवर्ण दीक्षा महामहोत्सव के उपलक्ष्य में शिखर दिवस

                  आलौकिक आध्यात्मिक महापुरुष हैं आचार्यश्री रामलालजी मसा.   बेंगलूरु। युगनिर्माता जैनाचार्यश्री रामलालजी म.सा. एक अलौकिक महापुरुष हैं। अनेक गुणों से सुशोभित आचार्यश्री के साधु जीवन के 50 वर्ष 9 फरवरी 2025 को पूर्ण होने जा रहे हैं। उनके अनुयायी गृहस्थ वर्ग जिसे 'श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ' के नाम से जाना जाता है। उस संघ के द्वारा 50 वर्ष की पूर्णता को 'महत्तम महोत्सव' यानी आचार्यश्री रामेश दीक्षा सुवर्ण महोत्सव के रूप में पिछले 3 वर्षों से ज्ञानार्जन व्रत, तप-त्याग के साथ जीवदया, रक्तदान आदि लोकोपकारी कार्यों से मनाया जा रहा है। इस महोत्सव का शिखर दिवस अर्थात् अन्तिम दिन 9 फरवरी आचार्यश्री के सान्निध्य में बीकानेर जिले के नोखामंडी (राजस्थान) में मनाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि आचार्यश्री का जन्म सन् 1952 में देशनोक (राजस्थान) में श्री नेमचंदजी भूरा की धर्म पत्नी श्रीमती गवरा देवी भूरा की कुक्षि से हुआ। यौवन की दहलीज पर आते ही आपने समता विभूति आचार्यश्री नानालालजी मसा. के श्रीचरणों मे सन् 1975 में जैन दीक्षा अंगीकार की। सन् 1992 में आचार्यश्री नानेश ने आपको अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तथा सन् 1999 में आप आचार्य पद पर आरूढ़ हुए। आचार्यश्री का संयमित जीवन त्याग-तप से ओत प्रोत है। आचार्यश्री भौतिक संसाधनों से परिपूर्ण इस युग में भी भगवान महावीर के सिद्धांतों के अनुसार कठोर साधु मर्यादा का दृढ़ता से पालन करते हैं। वे वाहन एवं किसी भी प्रकार के विद्युतीय उपकरणों का उपयोग नहीं करते है। वे सम्मान और प्रशंसा की चाह से परे हैं। उन्होंने पिछले 50 वर्षो में देश के 16 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में पैदल विचरण करते हुए जन-जन को नैतिकता, सदाचार और सत्संस्कार का सदुपदेश दिया है। उनके प्रवचन और सत्साहित्य ने अनेक लोगों को जीने की सच्ची राह दिखाई है। इन्होंने समाज कल्याण के लिए अनेक आयाम प्रस्तुत किए हैं। उनके व्यसन मुक्ति अभियान से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने शराब, गुटका, तंबाकू आदि व्यसनों का त्याग किया है। विवाह आदि कार्यक्रमों मे होने वाले दिखावे और संस्कृति को पतन की ओर ले जाने वाली कुरीतियों के उन्मूलन हेतु सामाजिक उत्क्रान्ति का उद्घोष किया। प्रत्येक व्यक्ति में नैतिकता का गुण विकसित हो भारत देश ही नही समग्र विश्व दुराचार रिश्वत खोरी आदि बुराइयों से बचकर नैतिकता की राह पर चले इस हेतु उन्होने इक्कीस सूची नियमावली का पालन करने वाले गुणशील समाज की स्थापना की। आपके गुणों से प्रभावित होकर आपके चरणों में 400 से अधिक साधकों ने जैन दीक्षा ग्रहण की है। आपके नेतृत्व में वर्तमान में 480 से अधिक साधु-साध्वी पूरे देश में पैदल विहार करते हुए जन-जन को सदुपदेश दे रहे हैं। समाज और राष्ट्र को धार्मिकता के साथ-साथ नैतिकता, ईमानदारी और सदाचार का पाठ पढ़ाने वाले आध्यात्मिक महापुरुष युग निर्माता जैनाचार्यश्री रामलालजी मसा. के चरणो मे अगणित वंदन किया जा रहा है।


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