अवंतिका एक मात्र तीर्थ, जहां शिवनवरात्र पूजन की परंपरा : पुजारी मनीष उपाध्याय
उज्जैन। महामंगल की जन्म भूमि कहे जाने वाले श्री अंगारेश्वर मंदिर में फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक शिवनवरात्र उत्सव मनाया जाएगा। पुजारी प्रतिदिन भगवान श्री अंगारेश्वर महादेव का पंचामृत पूजन कर उन्हें हल्दी लगाकर दूल्हा रूप में श्रृंगारित करेंगे। शाम को नौ दिन अलग-अलग रूपों में विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर के पुजारी पं. रोहित उपाध्याय ने बताया विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा श्रीमहाकाल की तरह श्रीअंगारेश्वर महादेव मंदिर में भी शिवनवरात्र उत्सव मनाया जाता है। इस बार तिथि वृद्धि के कारण यह उत्सव दस दिन का रहेगा। 17 फरवरी को शिव पंचमी की पूजा के साथ दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत होगी। भगवान अंगारेश्वर को हल्दी लगाई जाएगी। इसके बाद दूल्हा रूप में श्रृंगार होगा। गंधाक्षत, फूल, फल, धूप दीप, नैवेद्य के बाद आरती की जाएगी। यह सिलसिला शिवनवरात्र के पूरे नौ दिन चलेगा। महाशिवरात्रि पर भक्त दिनभर भगवान का जलाभिषेक कर सकेंगे। शाम 4 बजे जल अर्पण का सिलसिला बंद होने के बाद विशेष पूजा का अनुक्रम शुरू होगा। भगवान के शीश फल व फूलों से बना सेहरा सजाया जाएगा। भक्तों को दिनभर फलाहारी खीर प्रसादी का वितरण भी
किया जाएगा।
अवंतिकातीर्थ में शिवनवरात्र की परंपरा..
मंदिर के विद्वान पुजारी पं. मनीष उपाध्याय ने बताया भारत भूमि में उज्जैन नगरी अर्थात् अवंतिका एक मात्र तीर्थ है, जहां शिवनवरात्र के पूजन की परंपरा है।
ज्योतिर्लिंग श्रीमहाकालेश्वर के अलावा अन्य शिव मंदिरों में भी यह उत्सव मनाया जाता है। श्रीअंगारेश्वर मंदिर में यह इसलिए भी विशेष है कि, विवाह आदि मांगलिक कार्यों में अवरोध आने पर अंगारेश्वर की भातपूजा का विधान है। शिवनवरात्र उत्सव तो शिव पार्वती विवाहोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए मांगलिक कार्यों का दोष दूर करने के लिए इन नौ दिनों में महामंगल की भातपूजा
विशेष फलदायी है।