संगोष्ठी ‘इमर्जिंग चैलेंजेज इन सस्टेनेबल डेवेलपमेंट एंड एनवायरनमेंटल कंजर्वेशन’ का उद्घाटन – Chhotikashi.com

संगोष्ठी ‘इमर्जिंग चैलेंजेज इन सस्टेनेबल डेवेलपमेंट एंड एनवायरनमेंटल कंजर्वेशन’ का उद्घाटन

                                बीकानेर। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘इमर्जिंग चैलेंजेज इन सस्टेनेबल डेवेलपमेंट एंड एनवायरनमेंटल कंजर्वेशन’ का उद्घाटन कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने किया। इस अवसर पर कुलपति दीक्षित ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें आने वाली पीढ़ियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो कुछ हम उपभोग कर रहे हैं, वह दरअसल भविष्य की पीढ़ियों से उधार लिया गया है। समपोषणीय विकास तभी संभव है जब स्थानीय संसाधनों का उपयोग वर्तमान जरूरतों के साथ-साथ भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विवेकपूर्ण ढंग से किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है, अन्यथा जरूरी संसाधनों का क्षरण निश्चित है। पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी ने बताया कि संगोष्ठी में 20 देशों से 1850 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है, जो सतत विकास के प्रति जागरूकता का परिचायक है। विशिष्ट अतिथि अयोध्या प्रसाद गौड़ ने बताया कि केयर्न एनर्जी द्वारा बाड़मेर क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी भी सराहनीय है। गहरी फाउंडेशन, जोधपुर के बलदेव गोरा ने ‘सहजो-खेजड़ी अभियान’ की जानकारी दी और बताया कि खेजड़ी वृक्ष किस प्रकार थार मरुस्थल के लिए उपयोगी है। मुख्य अतिथि डॉ. जोनाथन हॉल, ईस्ट मिशीगन यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से पधारे थे। उन्होंने पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के बीच अंतर्संबंध पर विचार रखते हुए कहा कि भारत में मानव और वन्यजीवों के सह-अस्तित्व का जो सामंजस्य है, वह जैव विविधता को समृद्ध बनाता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ममता शर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो. राजाराम चोयल, डॉ. अनिल दुलार, डॉ. प्रभुदान चारण, डॉ. गौतम मेघवंशी, डॉ. अभिषेक वशिष्ठ, डॉ. प्रकाश सारण, डॉ. धुरेंद्र सिंह, प्रो. राजेंद्र पुरोहित, प्रो. प्रताप सिंह, प्रो. शशि शर्मा, प्रो. महेंद्र ढाका, डॉ. रामचंद्र लेघा और प्रो. नरेंद्र भोजक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


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