सीकर। विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान चिकित्सक प्रकोष्ठ जयपुर प्रांत के द्वारा 15 एवं 16 सितंबर को दो दिवसीय राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला एवं आरोग्य प्रदर्शनी का आयोजन खाटूश्यामजी, सीकर में किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुप्रारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झाबर सिंह खर्रा यूडीएच मंत्री करेंगे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अतिथिगण प्रोफेसर प्रदीप कुमार प्रजापति, निदेशक, आल इंडिया इंस्टिट्यूट आफ आयुर्वेद नई दिल्ली, , डा. सीताराम शर्मा, रजिस्ट्रार बोर्ड आफ इंडियन मेडिसिन जयपुर, डा. महेन्द्र कुमार सौरठा, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय सीकर, डा.जगदीश प्रसाद बैरवा, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जयपुर, पृथ्वी सिह चौहान, अध्यक्ष, मंदिर कमेटी खाटूश्यामजी होंगे।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर गोविन्द सहाय शुक्ल, राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्व आयुर्वेद परिषद होंगे।
कार्यक्रम में देशभर से पधारे सैंकङों आयुर्वेद चिकित्सक नाङी परिक्षण और विद्धकर्म चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नाङी वैद्य डाॅ विनायक तायङे चिकित्सकों को नाङी विज्ञान का प्रशिक्षण देंगे, वहीं पुणे के विद्धकर्म विशेषज्ञ डाॅ अमोल उत्तम बनसोङे विद्धकर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग देंगे।
रींगस रोङ स्थित द्वारकेश भवन में आमजन के लिए आरोग्य प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जिसमें आयुर्वेद की प्रमुख फार्मा कंपनियों की स्टॉल लगेंगी। जहां आम नागरिक स्वास्थ्य संबंधी मार्गदर्शन ले सकेंगे।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस राष्ट्रीय आयुर्वेद कार्यशाला में देशभर के 400 आयुर्वेद चिकित्सकों को नाङी विज्ञान और विद्धकर्म का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विश्व आयुर्वेद परिषद राजस्थान द्वारा पूर्व में भी अग्निकर्म, पंचकर्म, मर्म-चिकित्सा इत्यादि विधाओं पर कार्यशाला आयोजित की जा चुकी हैं। आयुर्वेद की प्राचीन लुप्त हो रही महत्वपूर्ण विधाओं को पुन: स्थापित करने के लिए विश्व आयुर्वेद परिषद पिछले 27 वर्ष से प्रयासरत हैं।
विश्व आयुर्वेद परिषद के चिकित्सक प्रकोष्ठ प्रदेश प्रभारी एवं कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डाॅ. पवनसिंह शेखावत ने बताया कि आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) के नेशनल कमिशन फाॅर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (NCISM) द्वारा इस कार्यशाला को 10 क्रेडिट पॉइंट देनें की स्वीकृति दी गई है। उल्लेखनीय है कि आयुर्वेद चिकित्सकों को पंजीयन नविनीकरण के लिए प्रतिवर्ष 10 क्रेडिट पॉइंट हासिल करना आवश्यक हो गया है। जिससे इस कार्यशाला का महत्व और अधिक बढ गया है। आयुष मंत्रालय के बोर्ड ऑफ इथिक्स एंड रजिस्ट्रेशन के ऑब्जर्वर इस कार्यक्रम की मोनिटरिंग करेंगे। वहीं राजस्थान सरकार द्वारा कार्यशाला में भाग लेने वाले चिकित्सकों को ऑन-ड्युटी-लीव प्रदान की जाएगी।
आयोजन सचिव डाॅ महेश इन्द्रा ने बताया कि दो वर्ष पूर्व परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र ने नाङी विज्ञान को पुनर्जीवित करने के लिए संगठन से आह्वान किया था। जिसके फलस्वरूप आयुर्वेद परिषद ने नाङी विज्ञान परिक्षण को पुन: स्थापित करने के लिए यह ऐतिहासिक पहल की है। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए 20 समितियों का गठन किया गया है। जिससे देशभर से पधारने वाले सैंकङो चिकित्सकों के लिए आवास आदि व्यवस्थाओं का सुगमता से प्रबंधन हो सकेगा।
आयोजन सहसचिव डाॅ बी एल बराला, संयुक्त सचिव डाॅ रामावतार शर्मा, सीकर विभाग संयोजक डाॅ जितेंद्र कुमार वर्मा, जिला संयोजक डाॅ हरिराम कटारिया, डाॅ शंकरलाल शर्मा, डाॅ रमेश कस्वा सहित 40 से अधिक आयोजन समिति के सदस्य इस ऐतिहासिक कार्यशाला के सफल आयोजन में सहयोग कर रहे है।