
आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य के लिए कवरेज बेहद ज़रुरी है : भास्कर नेरुरकर
बजाज जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम हेड के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य तुरंत ठीक नहीं होता, ऐसे में...
पुणे, पीहू प्रिया राय/सीके मीडिया। मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही महत्वपूर्ण है और हाल के समय में कई मशहूर हस्तियों के अपने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को खुलकर सामने रखने और मीडिया में हो रही चर्चा से इस समस्या के प्रति लोगों में जागरूकता आई है। बहुत से लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं करते थे, जिस वजह से इसे कभी प्राथमिकता नहीं समझा गया। आज, चीजें बदल रही हैं।
यह कहना है बजाज जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम हेड भास्कर नेरुरकर का। उन्होंने बताया कि आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कभी काम का प्रेशर होता है, कभी पैसों की चिंता और ऊपर से समाज की उम्मीदों को भी पूरा करना पड़ता है और ये सब मिलकर रोज़मर्रा का तनाव बढ़ाते हैं। इस लगातार तनाव की वजह से चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि टेक्नोलॉजी की मदद से हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, लेकिन कई बार इससे हमें अकेलापन या तनाव का एहसास भी होता है, जो हमारे मन पर असर डालता है। बकौल भास्कर नेरुरकर समय रहते मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समाधान करने से स्वास्थ्य में काफी सुधार हो सकता है। ऐसे माहौल में, मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 ने इलाज तक पहुंच को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस कानून के तहत, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने दिशानिर्देश जारी किए, जिनके अनुसार 31 अक्टूबर 2022 से सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को मानसिक बीमारी से जुड़े इलाज को शारीरिक बीमारी के बराबर मानते हुए कवर करना और उससे जुड़े क्लेम स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया गया। इसका मतलब है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग अब बिना किसी चिंता के ज़रूरी देखभाल हासिल कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज के मुख्य लाभ..
भास्कर नेरुरकर के मुताबिक जब मानसिक स्वास्थ्य देखभाल आपके इंश्योरेंस का हिस्सा हो, तो ज़रुरत महसूस होते ही मदद लेना ज़्यादा आसान और संभव हो जाता है। उन्होंने कहा कि समय रहते इलाज प्राप्त करने से समस्या ज़्यादा गंभीर नहीं होती है और रिकवरी भी जल्दी हो जाती है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको मेडिकल बिल की लागत पर चिंता किए बिना तुरंत समस्या का समाधान करने का आत्मविश्वास देता है।
आपकी जेब पर बोझ कम पड़ता है..
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल महंगी होती है। इसमें अक्सर नियमित थेरेपी सेशन, दवाएं और कभी-कभी हॉस्पिटल में भर्ती होना शामिल होता है। ये खर्च तेज़ी से बढ़ सकते हैं और एक समय पर इलाज जारी रखना मुश्किल हो जाता है। भास्कर नेरुरकर बताते हैं एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस कवर इन खर्चों का बड़ा हिस्सा चुका देता है, जिससे आप पैसे की चिंता किए बिना अपनी सेहत सुधारने पर ध्यान दे सकते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि प्लान में क्या शामिल है, यह आपके द्वारा चुने गए प्लान के प्रकार पर निर्भर करता है।
हॉस्पिटलाइज़ेशन के बिना ली गई थेरेपी के लिए कवरेज मिलती है..
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में ओपीडी (आउटपेशेंट डिपार्टमेंट) की सुविधा मिलती है, जिसका मतलब है कि हॉस्पिटल में भर्ती हुए बिना भी थेरेपी या काउंसलिंग की सुविधा प्राप्त की जा सकती है। इससे ज़रूरत पड़ने पर नियमित मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करना आसान हो जाता है। यह सुविधाजनक और किफायती विकल्प है, जो आपको अपनी देखभाल जारी रखने में मदद करता है।
मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में मदद करता है..
भास्कर नेरुरकर ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य तुरंत ठीक नहीं होता है। कई लोगों को लंबे समय तक मदद की ज़रुरत होती है, जैसे कि लगातार थेरेपी लेना, दवाइयां लेना या नियमित रूप से
मनोचिकित्सक के पास जाना। जो इंश्योरेंस प्लान मानसिक स्वास्थ्य को कवर करते हैं, वे लंबे समय तक इलाज जारी रखने में मदद करते हैं, जिससे भावनात्मक रूप से स्वस्थ बने रहना आसान होता है।
विशेष मानसिक स्वास्थ्य प्लान..
सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस के अलावा, कुछ कंपनियां ऑटिज़्म, पार्किंसंस रोग और बौद्धिक अक्षमताओं जैसी खास मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए विशेष प्लान भी प्रदान करते हैं। इन पॉलिसी में आयुष उपचारों के लिए भी कवरेज मिल सकती है, जिनमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं। कुछ बीमा कंपनियां इन विशेष प्लान के तहत पहले से मौजूद कुछ मानसिक बीमारियों को भी कवर करती हैं।
एक संतुलित और अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझना बहुत ज़रुरी है। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक, हमारी मानसिक सेहत इस बात को प्रभावित करती है कि हम क्या सोचते हैं, कैसा महसूस करते हैं और दुनिया के साथ कैसे तालमेल बैठाते हैं। अगर हम मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों और समय पर देखभाल करें, तो हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहां इसे शारीरिक स्वास्थ्य के बराबर माना जाएगा। थेरेपी या मदद लेना कमज़ोरी नहीं, बल्कि ठीक होने, आगे बढ़ने और मज़बूत बनने की एक बड़ी पहल है।