भारतीय वैदिक विज्ञान की अनमोल विरासत का विधिवत पूजन-अर्चन – Chhotikashi.com

भारतीय वैदिक विज्ञान की अनमोल विरासत का विधिवत पूजन-अर्चन

                                                          बीकानेर। धन त्रयोदशी के शुभ अवसर बीकानेर स्थित अभय जैन ग्रंथालय जहां प्राचीन आयुर्वेद से संबंधित दुर्लभ पांडुलिपियाँ सुरक्षित रूप में संरक्षित हैं। इस अवसर पर उन पांडुलिपियों का तथा हमारे भारतीय वैदिक विज्ञान की अनमोल विरासत का विधिवत पूजन-अर्चन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य धन त्रयोदशी के वास्तविक अर्थ धन यानी स्वास्थ्य और आयु का सच्चा धन को पुनः स्मरण कराना था। ऋषभ नाहटा ने आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि यह मनुष्य के तन, मन और आत्मा के संतुलन का विज्ञान है। हमारे ऋषियों द्वारा रचित ये पांडुलिपियाँ भारतीय ज्ञान की जड़ हैं, जिन्हें समझना और संरक्षित करना आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि आज के इस वैज्ञानिक युग में भी आयुर्वेद का शास्त्रीय आधार पूर्णतः वैज्ञानिक है, और इन ग्रंथों में वर्णित औषध-निर्माण, धातु-शोधन तथा नाड़ी-विज्ञान आज भी शोध के केंद्र बिंदु बने हुए हैं। कार्यक्रम के दौरान ग्रंथालय की इस दुर्लभ धरोहर के संरक्षण के लिए पूरा समर्थन देने ओर कार्य करने की शुरुआत की। अंत परंपरा, वैदिक विज्ञान और प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन करें, क्योंकि यही भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक समृद्धि की असली पहचान है। कार्यक्रम में मोहित बिस्सा, नवरत्न चोपड़ा, लव कुमार देराश्री और गौरव आचार्य उपस्थित रहे कार्यक्रम का समापन ‘धन्वंतरि स्तोत्र’ के पाठ के साथ किया गया, जिसमें स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान के प्रसार की मंगल कामना की गई।


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