पंजाब के राज्यपाल कटारिया को निमंत्रण ; शक्ति चेतना उत्सव में होगा दिव्य साधना की विराट चेतना का अनुभव – Chhotikashi.com

पंजाब के राज्यपाल कटारिया को निमंत्रण ; शक्ति चेतना उत्सव में होगा दिव्य साधना की विराट चेतना का अनुभव

  चंडीगढ़ में सात दिसंबर को सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुर्वानन्द स्वामीजी अपनी अमृतवाणी से करेंगे श्रद्धालुओं को निहाल चंडीगढ़। विश्वधर्म चेतना मंच, तिरुपति की चंडीगढ़ शाखा का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय संयोजक भूपेंद्र जैन के नेतृत्व में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से राजभवन में मिला।प्रतिनिधिमंडल में प्रधान सुरेश गुप्ता, संयोजक नरेश गर्ग, मुकेश जैन, संजय जैन एवं भूपेंद्र शर्मा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने आगामी 7 दिसंबर, 2025, रविवार को कमांडो लॉन, चंडीगढ़ क्लब, सेक्टर 1 में होने वाले शक्ति चेतना उत्सव, जिसमें आध्यात्मिक चेतना के मूर्तिमान प्रकाशपुंज युगपुरुष सिद्धगुरु सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुर्वानन्द स्वामीजी गुरुदेव अपनी अमृतवाणी से श्रद्धालुओं को निहाल करेंगे, का निमंत्रण राज्यपाल को दिया। राज्यपाल ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व निर्धारित आवश्यक कार्य के चलते वह कार्यक्रम के पश्चात स्वयं आकर पूज्य गुरुदेवजी को राज्यपाल आवास में पधारने के लिए निमंत्रण देंगे। उल्लेखनीय है कि अपना सारा जीवन राष्ट्र विकास, विश्व एवं मानवता कल्याण को समर्पित कर चुके गुरुदेव 68 दिवस की महासाधना संपन्न कर दिव्य ऊर्जा एवं ईश्वरीय चेतना के अनुभव एवं मंगल दर्शन, अमृतवाणी व आशीर्वाद की वर्षा से निहाल करने 6 से ज्यादा वर्षों के अंतराल के पश्चात चंडीगढ़ उक्त कार्यक्रम में पधार रहे हैं। आध्यात्मिक चेतना के मूर्तिमान प्रकाशपुंज युगपुरुष ब्रह्मर्षि गुरुदेव ज्ञान, भक्ति, कर्मयोग की साक्षात त्रिवेणी हैं। जिनसे करुणा, सरलता, दया, स्नेह, प्रेम, वैराग्य, तेजस्विता, मर्यादा, बुद्धत्व, साधना व शक्ति की धारा प्रवाहित होती है। पूज्यश्री सिद्धगुरु ने अपनी सातों कुण्डलिनी शक्तियाँ जाग्रत कर शिवलोक, विष्णुलोक, ब्रह्मलोक का अनुभव प्राप्त किया है। पुरातन, सनातन ऋषि मुनियों की लुप्त हो रही मंत्रों की शक्तियों एवं तंत्रों की लब्धियों को अपने वैदुष्य व साधना से खोज कर सिद्ध किया है। गुरुदेव में जैसी लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धियाँ हैं, उनका कोई विकल्प नहीं। श्री सद्‌गुरुदेव ने विश्व धर्म चेतना मंच के माध्यम से 193 देशों की यात्रा करते हुए धर्म के मूल स्वरूप एवं भारतीय ज्ञान दर्शन को विश्व भर में पहुंचाकर भारतीय संस्कृति की पताका को फ़हराया है। 22 से अधिक भाषाओं के ज्ञाता गुरुदेव कहते हैं कि खुशी के लिए नहीं, खुशी से जीओ। धर्म के लिए नहीं, धर्म से जीओ। सेवा और संयमित जीवन ही पूजा है। स्वयं ऊपर उठने और और औरों के जीवन को ऊपर उठाने में प्रेरक और सहयोगी बनो। जीवन आत्मदर्शन का होना चाहिए, प्रदर्शन का नहीं।


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