
समाज की मर्यादा पर विचार ; प्री-वेडिंग एवं आधुनिक समारोहों पर लगाम जरुरी : बाबूभाई मेहता
"प्री-वेडिंग: सामाजिक मर्यादाओं को चुनौती, या फिजूलखर्ची का नया फैशन ?"
बेंगलूरु। हाल के वर्षों में, जैन समाज में धार्मिक आयोजनों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। मंदिर, तीर्थों के जीर्णोद्धार, संघों के कार्यक्रम और आचार्य भगवंतों के चातुर्मास पर व्यापक स्तर पर बड़े बजट खर्च होते हैं। इसके बावजूद, समाज के एक हिस्से में संस्कारों की कमी दिखाई दे रही है। ग्लोबल स्तर पर सामाजिक, धार्मिक व्यक्तित्व, लेखक एवं चिंतक बाबूभाई मेहता "स्वामित्व" ने इस पर गहरे विचार व्यक्त किये है। उनका कहना है कि प्रतिवर्ष हर चातुर्मास में साधुजी-साध्वीजी भगवंत संस्कार शिविर लगाते हैं, फिर भी शादी-ब्याह, सालगिरह एवं जन्मदिन जैसे सामाजिक उत्सवों में अनावश्यक और अमर्यादित खर्च कर बड़प्पन दिखाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या इस तरह के अनैतिक प्रदर्शन को नया 'संस्कार' माना जाने लगा है। रचनात्मक कार्यशैली के धनी, दुर्व्यसनों पर जमकर त्वरित टिप्पणी के माध्यम से अपने सत्य कटु अथवा प्रेरणास्पद विचारणीय वचनों से चेतना जागृत करने वाले बाबूभाई मेहता विशेष रुप से प्री-वेडिंग शूटिंग और उनके प्रदर्शन के तरीकों पर अपनी गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि शादियों में भले ही प्री-वेडिंग दिखाना नब्बे फीसदी तक कम हो गया हो, लेकिन अब व्हाट्सएप पर निमंत्रण के साथ हर दिन जो फोटो आ रहे हैं, वे मर्यादा का उल्लंघन कर रहे हैं।सबसे अधिक चिंता का विषय रेन डांस और स्विमिंग पूल पार्टी को लेकर है, जो अब शादी के कार्यक्रमों का हिस्सा बनने लगी हैं। बाबूभाई मेहता का मानना है कि इन पार्टियों में समाज की बहू-बेटियों का अमर्यादित तरीके से नाचना व पुरुषों का उसे देखना, हमारी संस्कृति और संस्कारों को नीचा दिखाता है। उन्होंने कहा कि पूल पार्टी और रेन डांस के दौरान महिलाओं के पहनावे की मर्यादा खत्म हो जाती है, और वहां मौजूद बच्चे, बुजुर्ग और अजैन सभी के सामने ऐसा करना ठीक नहीं है।बाबूभाई मेहता ने एक बार फिर से मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी चिंतनीय बात रखते हुए सभ्य समाज के लोगों से विनम्र अनुरोध किया है कि यदि उन्हें अपने घर के संस्कारों या भगवान महावीर की शिक्षाओं की परवाह है, तो वे तुरंत
प्री-वेडिंग फोटो का प्रदर्शन बंद करें। शादियों में रेन डांस और स्विमिंग पूल पार्टी रखना बंद करें। बकौल मेहता अपना समाधान देते हुए कहते है कि हमें आधुनिकता को अपनाना चाहिए, लेकिन संस्कारों के साथ। सादगी में भी स्वादिष्ट भोजन कराएं और शादी के सभी कार्यक्रम मर्यादा और ठाठ-बाट से ऐसे करें कि जमाना याद रखे और प्रशंसा भी करे। उन्होंने विनम्रता पूर्वक गुरु भगवंतों से भी अपील की है कि जिस तरह वे बच्चों को रात्रि भोजन त्याग, कंदमूल त्याग की शपथ दिलाते हैं, उसी तरह समाज के लोगों को मर्यादित और संस्कारित शादियां करने की शपथ दिलाएं, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव आ सके।
