फिल्म ‘सैम बहादुर’ राष्ट्रीय नेताओं की छवि के विकृतिकरण का निंदनीय प्रयास : गोपालदादा तिवारी
महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस प्रवक्ता बोले, यह फिल्म राष्ट्रीय नेताओं को कमजोर और चरित्रहीन बताने वाली, तुरंत लगे बैन
पुणे। निर्माता-निर्देशक रानी स्क्रूवाला और मेधना गुजराल द्वारा निर्मित हिंदी फिल्म "सैम बहादुर" भारत की पूर्व प्रधानमंत्री, बैंकों के राष्ट्रीयकरण और पाकिस्तान को विभाजित करने वाले देश की कट्टर राष्ट्रीय नेता श्रीमती इंदिरा गांधी को बदनाम करने का एक कुटिल प्रयास है। उक्त फिल्म में अवास्तविक एवं अनावश्यक घटनाएं दिखाई गई हैं जो श्रीमती इंदिरा गांधी की निर्णय लेने की क्षमता एवं चरित्र पर कीचड़ उछालनेका प्रयास हैं तथा गलतफहमियां बढ़ाती हैं। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने उक्त फिल्म पर तुरंत बैन लगाने की मांग करते हुए कहा है कि उक्त कथित एवं अवास्तविक फिल्म से पता चलता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने, जिसने 'स्वतंत्रता के बाद के भारत' की स्थापना की और पाकिस्तान पर जो विजयश्री हासिल की, उसे जान-बूझकर असत्य घटनाएँ दिखाकर गुमराह किया गया है। फिल्म 'सैम बहादुर' नेहरू-गांधी परिवार के प्रति नफरत से ग्रस्त हीन मानसिकता को दर्शाती है, जो वास्तविकता को नजरअंदाज कर झूठ पर आधारित काल्पनिक चरित्रों का निर्माण करती है।
फिल्म में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी को कमजोर, निर्णय लेने की क्षमता से रहित और चरित्रहीन दिखाने का प्रयास निंदनीय है, और कांग्रेस ने इस आरोप की कड़ी निंदा की है।
गोपालदादा तिवारी ने कहा है कि यह फिल्म ‘कांग्रेस पार्टी से ईर्ष्या रखने वाली राजनीतिक महाशक्तियों के समर्थन से’ बनाई गई है, और जनता को ऐसी फिल्म का बहिष्कार करना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने यह भी मांग की है कि भारत सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को उक्त फिल्म को अपने यहां प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। इस फिल्म ने न केवल देश के राष्ट्रीय नेताओं के चरित्र का हनन करने का प्रयास किया है, बल्कि राष्ट्र को अपमानित करने का भी कार्य किया है। इसलिए उक्त फिल्म पर तुरंत रोक लगाया जाना चाहिए, अन्यथा सरकारों को जनआक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।