
विकास का मजबूत रास्ता केंद्र व राज्य के एक दिशा में काम करने पर ही संभव : मनोज तिवारी
“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना से प्रेरित बेंगलूरु में हुआ भव्य आयोजन, इंद्र कुमार नाहर ने दी जानकारी
बेंगलूरु। भव्य दशहरा उत्सव के उपरांत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के विचारों से प्रेरित होकर एक रंगारंग शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन यहां विद्यारण्यपुरा में हुआ। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों से लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनमें विशेष रुप से बिहार के लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मनोज तिवारी सांसद दिल्ली, भाजपा बिहार के प्रदेश सचिव रत्नेश खुसवाहा, प्रदेश सचिव थमेश गौड़ा, श्री दत्तात्रेय, ऑल प्रकोष्ठ प्रभारी, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महासचिव इंद्रकुमार नाहर, राज्य सह-संयोजक, विविध भाषिक प्रकोष्ठ, भाजपा कर्नाटक सनी राज सहित ओम प्रकाश, अशुतोष कुमार, धर्मेंद्र पटेल, सुनील ठाकुर, वीर बहादुर, उदय कुमार, सतेन्द्र सिंह, संजय उज्जैन, निर्भय, ब्रजेश, राम प्रवेश, राजन शर्मा तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे। नाहर ने बताया कि इस दौरान लगभग 8 हजार लोगों की उपस्थिति ने एकता, संस्कृति और देशभक्ति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। थमेश गौड़ा को विशेष धन्यवाद दिया गया, जिन्होंने पूरे उत्तर भारतीय समाज को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया और “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की भावना को साकार किया। लोकप्रिय गायिका अनुपमा ने अपनी सुरम्य प्रस्तुति से पूरे जनसमूह को मंत्रमुग्ध किया। साथ ही मनोज तिवारी ने भी अपने ऊर्जावान संबोधन से वातावरण को जोश और उत्साह से भर दिया। उन्होंने कहा कि विकास का रास्ता तभी मजबूत होगा जब केंद्र और राज्य दोनों एक दिशा में काम करें। उन्होंने बिहार में डबल इंजन की सरकार के पुनर्गठन का आह्वान किया।रत्नेश खुसवाहा ने सभी को आगामी चुनावों के दौरान बिहार आने और अपने जन्मस्थान के विकास में योगदान देने का आह्वान किया। वहीं थमेश गौड़ा ने आश्वस्त किया कि बेंगलूरु में उत्तर भारतीय समाज को सदैव परिवार जैसा सम्मान और सहयोग मिलता रहेगा। सनी राज ने जेएसएस, माँ दुर्गा सेवा समिति, बिहार भवन, भोजपुरी समाज, नवदुर्गा सेवा समिति, ब्रह्मर्षि समाज, विश्वकर्मा समाज तथा अन्य सभी समाजों और संगठनों का हृदय से धन्यवाद प्रकट किया, जिन्होंने निरंतर स्नेह, सहयोग और समर्थन प्रदान किया है। यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता का एक उज्ज्वल प्रतीक रहा।